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अब किसे मिलेगाा भूत वाला बंगला? अफसरों में दोहराई जा रही हैं खौफ की कहानियां

वक़ार अहमद शाह कैबिनेट मंत्री बने तो उन्हें ये बंगला दिया गया था। शाह आजतक हॉस्पिटल में हैं। राजेन्द्र चौधरी को बंगला मिला तो मुलायम सिंह यादव ने उन्हें कैबिनेट से हटा दिया। जावेद आब्दी इस बंगले में शिफ्ट हुए तो उनके बेटे का देहांत हो गया।

zafar
Published on: 20 March 2017 1:50 PM IST
अब किसे मिलेगाा भूत वाला बंगला? अफसरों में दोहराई जा रही हैं खौफ की कहानियां
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अब किसे मिलेगाा भूत वाला बंगला? अफसरों में दोहराई जा रही हैं खौफ की कहानियां

लखनऊ: नई सरकार में 6 नम्बर बंगला किसे मिलेगा? इस बात को लेकर शासन और राज्य संपत्ति विभाग के अफसरों में खासी चर्चा है। वजह है इस बंगले में जो भी गया उस को भारी नुकसान उठाना पड़ा। किसी का बेटा दुनिया से चला गया तो कोई मंत्री खुद कोमा में पहुंच गया।

इस बंगले में एक दिन के लिए गए राजेन्द्र चौधरी के दो महत्वपूर्ण विभाग 24 घंटे के अंदर छीन लिए गए।

क्या है बंगले का राज ?

5 कालीदास मार्ग यानी मुख्यमंत्री आवास के बाद वाला बंगला किस का होगा, फिलहाल यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

अखिलेश यादव के राज में इस बंगले में जो भी गया उस के साथ कुछ न कुछ बुरा ही हुआ।

मुलायम सिंह यादव के बेहद क़रीबी वक़ार अहमद शाह कैबिनेट मंत्री बने तो उन्हें ये बंगला दिया गया था।

6 महीने भी नहीं बीते थे कि उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया और वक़ार अहमद शाह आजतक हॉस्पिटल में हैं।

इस के बाद ये बंगला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बेहद क़रीबी राजेन्द्र चौधरी को मिला।

गृह प्रवेश के लिए पूजा चल ही रही थी कि नेताजी यानि मुलायम सिंह यादव राजेन्द्र चौधरी पर भड़क गए और कैबिनेट से हटाने का फरमान सुना दिया। सीएम ने नेताजी का गुस्सा शांत करने के लिए उनसे खाद्य एवं रसद और कारागार विभाग वापस लेकर राजनैतिक पेंशन विभाग दे दिया।

इसके बाद काफी दिनों तक खौफ के चलते इस बंगले में कोई नहीं गया।

आगे स्लाइड में क्या हुआ अमर सिंह, जावेद आब्दी और आईएएस प्रदीप शुक्ला और नीरा यादव के साथ...

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भारी नुकसान

इस के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन बनाये गए जावेद आब्दी ने इस बंगले में शिफ्ट होने की हिम्मत की।

बंगले में जाते ही जावेद आब्दी के बेटे का देहांत हो गया।

जावेद अभी इस ग़म से उबरे भी नहीं थे कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चैयरमैन के पद से भी हटा दिए गए।

वह विधान परिषद भेजे जाने वाले थे, लेकिन नहीं भेजे गये। बाद में पार्टी घमासान के दौरान शिवपाल सिंह यादव ने उन्हें मंच पर धक्का दे दिया था।

फिर वह विधान सभा चुनाव में भी हार गए।

यही नहीं, इससे पहले मुलायम सिंह यादव के राज में अमर सिंह ने इस बंगले की शोभा बढ़ाई तो उन्हें नोटकांड में जेल जाना पड़ा था।

कुछ ऐसा ही अपने बैच में टॉपर रहे प्रदीप शुक्ला और नीरा यादव के साथ हुआ। दोनों यहां उद्योग बंधु के एमडी के तौर पर पोस्ट हुए थे।

आगे स्लाइड में सचिवालय के भुतहा कार्यालय में क्या हुआ....

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और भी हैं भूत बंगले

ऐसा नहीं कि सिर्फ 6 कालीदास मार्ग का बंगला ही मनहूस या अशुभ माना जाता हो बल्कि 22 गौतमपल्ली बंगले में भी कोई नहीं जाना चाहता है।

कुछ इसी तरह सचिवालय मुख्य भवन का 58, 58 ए कार्यालय भी राजनीति के गलियारों में अशुभ माना जाता है।

इस दफ्तर में जो बैठा उसे यहां बैठने के बाद भारी कीमत चुकानी।

अखिलेश यादव के राज में ये कार्यालय राजकिशोर सिंह को मिला था।

दफ्तर में कामकाज संभालने के बाद राजकिशोर के जवान बेटे की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। कुछ दिनों बाद उन का विभाग भी बदल दिया गया।

इसी बीच पारिवारिक झगड़े के चलते उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।

और अंत में उन्हें विधान सभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

इसी दफ्तर में मायवाती सरकार में मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण बैठते थे।

एक भयंकर सड़क हादसे में ज़ख़्मी होने के बाद वो कभी पलट कर अपने इस कार्यालय नहीं पहुंच सके।

वर्तमान आदित्यनाथ योगी सरकार में चौधरी लक्ष्मी नारायण एक बार फिर मंत्री हैं।

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