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हजरतगंज SHO श्याम बाबू ने पेश की मिसाल, आम वाले को दिया इलेक्ट्रॉनिक तराजू, जानें पूरा मामला
पुलिस की वर्दी पहनना ही नहीं काबिलियत की बात है।
लखनऊ। ग़लती होना आम बात है। मानुष जाति गलतियां करके ही सीख लेती है। मग़र, ग़लती को सुधारना ही हमारा परम धर्म होता है। पुलिस की वर्दी पहनना ही नहीं काबिलियत की बात है। बल्कि, उस वर्दी की गरिमा को बनाते हुए, अपने कर्तव्यों को दायित्व समझकर निभाना ही एक सिपाही का धर्म होता है। इसका मुजायरा आज हज़रतगंज के SHO श्याम बाबू शुक्ल ने पेश कर, मानवता और नैतिकता की मिसाल कायम की।
हज़रतगंज एसएचओ ने अपनी टीम के साथ जाकर उस आम वाले को इलेक्ट्रॉनिक तराजू दिया, जिसकी फोटोज ने रविवार सुबह से ही सोशल मीडिया पर सरगर्मी पैदा कर दी थी। आपको बता दें, कि एक दैनिक अखबार के फोटो जर्नलिस्ट ने एक दरोगा व सिपाही की कुछ ऐसी फोटोज कैप्चर कर ली थी, जिसमें वह एक आम बेचने वाले युवक से बदसलूकी करते दिख रहे थे। और तो और दरोगा ने उस आम बेचने वाले इंसान का बांट तक रख लिया था। इसके बाद रविवार सुबह से ही सोशल मीडिया पर पुलिस को लेकर कई तरह की बातें शुरू हो गई थी। सभी यूजर्स उस दरोगा व सिपाही के निलंबन की भी बात करने लगे थे।
मग़र, शाम आते-आते हज़रतगंज एसएचओ श्याम बाबू शुक्ल ने उस युवक को इलेक्ट्रॉनिक तराजू देकर पूरे मामले को अपने विवेक से रफा-दफा कर दिया। सच में, आपका कोई जवाब नहीं है श्याम बाबू।
लखनऊ.वो ठेलिया लगाए आम बेच रहा था, मास्क भी लगाए था, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कर रहा था लेकिन दरोगा जी अपनी हनक के आगे कुछ सुनने को तैयार न थे
उस गरीब का बाट ले लिया, बेचारा दरोगा जी से विनती करता रहा, उनकी गाड़ी के आगे आकर हाथ जोड़ता रहा,
इससे पहले भी श्याम बाबू शुक्ल लोगों की मदद के लिए आगे आते रहे हैं। उन्होंने उस वक़्त कई लोगों के शव को कांधा दिया व अंतिम संस्कार करवाया था, जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर चरम पर थी।