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HC ने पूछा- कब तक भरे जाएंगे डेंटल सर्जन के खाली पद, प्रमुख सचिव से मांगा हलफनामा
लखनऊ: हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, अरुण कुमार सिन्हा बुधवार को बेंच के सामने हाजिर हुए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभी और एक हजार डेटल सर्जन की जरूरत है। इस पर चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस राजन राॅय की बेंच ने उनसे पूछा कि प्रदेश में डेंटल सर्जन के रिक्त पद कब तक भर दिए जाएंगे। कोर्ट ने प्रमुख सचिव को गुरुवार को इस बाबत हलफनामा प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट वीरेंद्र कुमार यादव की ओर से दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिका में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डेंटल सर्जन की लंबे समय से भर्ती नहीं होने का मुद्दा उठाया गया है। 5 दिसंबर को उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने प्रमुख सचिव को तलब किया था।
594 पद तत्काल भरे जाने की है आवश्यकता
याची के वकील बीके सिंह के अनुसार प्रमुख सचिव ने कोर्ट के समक्ष मौखिक जानकारी दी कि प्रदेश से प्रति वर्ष कुल 2020 डेंटल सर्जन निकलते हैं। उन्होंने बताया कि डेंटल सर्जन के 594 पद तत्काल भरे जाने की आवश्यकता है।
प्रदेश में कुल 1,000 डेंटल सर्जन की है आवश्यकता
प्रमुख सचिव ने कहा कि 'प्रदेश में कुल एक हजार डेंटल सर्जन की आवश्यकता है। 169 सर्जन की भर्ती के लिए पब्लिक सर्विस कमीशन को कहा जा चुका है जबकि 237 सर्जन फिलहाल कार्यरत हैं। बाकी बचे 594 पदों के भरे जाने की आवश्यकता है।' इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि शेष रिक्त पद कब तक भर दिए जाएंगे।
कम्पाउंडर से लिया जा रहा डॉक्टर का काम
उल्लेखनीय है कि याचिका में कहा गया है कि 1992 से डेंटल सर्जन का पद सृजित ही नहीं किए गए। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि शहरी इलाके में तो पुराने डेंटल सर्जन काम कर रहे हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में उनका काम कम्पाउंडर से लिया जा रहा है। टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ कैंसर के आंकड़े के अनुसार उत्तर प्रदेश में मुंह और दांत के कैंसर के सबसे अधिक मरीज हैं।