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भूमि अधिग्रहण कानून के बाद क्या सरकार किसानों से मुआवजा करार कर सकती है : HC
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य कृषि उत्पादन मंडी समिति और राज्य सरकार से पूछा है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के एक जनवरी 2014 को लागू होने के बाद क्या सरकार को किसानो से करार कर मुआवजा तय करने का अधिकार है।
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य कृषि उत्पादन मंडी समिति और राज्य सरकार से पूछा है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के एक जनवरी 2014 को लागू होने के बाद क्या सरकार को किसानो से करार कर मुआवजा तय करने का अधिकार है। क्या किसानों की जमीन लेने के लिए करार किया जा सकता है।
कोर्ट ने मंडी समिति से याचिका में दाखिल संशोधन अर्जी पर एक हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश जस्टिस ए.पी.शाही और जस्टिस आर.एल.मल्होत्रा की खंडपीठ ने महाराजगंज के मोहम्मद अब्दुल्ला और बीस अन्य की याचिका पर दिया है।
याचिका पर वकील अनूप त्रिवेदी और राज्य सरकार व मंडी परिषद की तरफ से अपर महाधिवक्ता एम.सी.चतुर्वेदी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने सवाल उठाया कि 2013 के नए कानून के तहत मुआवजा भुगतान का करार नहीं किया जा सकता।
याचीगण का कहना है कि 2 जुलाई 2015 को दिए गए अवाॅर्ड के तहत मुआवजा राशि तय करने में भेदभाव किया गया है जो कानून के विपरीत है। कोर्ट ने कहा कि धारा 11 (2) का उपबंध समाप्त होने के बाद सरकार किसानों से करार कर मुआवजा देने में मनमानी नहीं कर सकती। याचिका की अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी।