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कोर्ट ने मुख्य सचिव को लगाई फटकार, पूछा कौन है यूपी का एडवेाकेट जनरल ?
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार (13 अप्रैल) को यूपी के मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए प्रदेश के एडवेाकेट जनरल का नाम पूछा है।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार (13 अप्रैल) को यूपी के मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए प्रदेश के एडवेाकेट जनरल का नाम पूछा है। कोर्ट ने कहा कि उसके सामने पाॅलिसी मामलांे में एडवोकेट जनरल की उपस्थिति जरूरी होती है। प्रदेश में नए सरकार के गठन के कई दिन बीत जाने के बाद भी एडवोकेट जनरल की नियुक्ति न होने पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने यह आदेश पारित किया।
जस्टिस ए पी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-165 के तहत एडवोकेट जनरल की नियुक्ति का प्रावधान है। कोर्ट ने मुख्य सचिव से उक्त प्रावधान के तहत विचार कर 20 अप्रैल तक सूचित करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि पिछली सरकार में एडवोकेट जनरल रहे विजय बहादुर सिंह ने योगी सरकार के गठन के होते ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया था। तब से नए एडवोेकेट जनरल की नियुक्ति को लेकर कयासों का बाजार गर्म था। इस बीच आरएसएस और बीजेपी से जुड़े वरिष्ठ वकीलांे का नाम इस पद के लिये चर्चा में रहा।
बेंच के सामने गुरुवार (13 अप्रैल) को साल 2105 का एक मामला आया। जिसमें एडवोकेट जनरल की उपिस्थिति अनिवार्य थी। पूर्व चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस एन शुक्ला की बेंच ने नागरिक पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज जौनपुर की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए 19 अगस्त 2015 को एडवोकेट जनरल को नेाटिस जारी कर उनका पक्ष मांगा था।
याचिका में स्टेट यूनिवर्सिटीज एक्ट के एक प्रावधान में किए गए संसोधन की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी। इसके तहत यूनिवर्सिटीज में आउटसोर्सिंग के जरिए चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियेां की भर्ती की बात कही गई थी। उस समय बेंच ने मामले में सरकार की नीति को चुनौती के मद्देनजर एडवोकेट जनरल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
गुरूवार को जब इस याचिका पर सुनवाई शुरू हुई तो अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एच पी सिंह ने कोर्ट को बताया कि नई सरकार ने अभी एडवोेकेट जनरल की नियुक्ति नहीं की है। लिहाजा उन्हें कुछ और समय दे दिया जाए। कोर्ट ने समय प्रदान करते हुए मुख्य सचिव से जवाब तलब किया।
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मीट शॉप्स और स्लॉटर हाउस के लाइसेस और नवीनीकरण का मामला: कोर्ट ने हाई पावर कमेटी के निर्णय को पेश करने के लिए सरकार को दिया समय
कोर्ट ने हाई पावर कमेटी के निर्णय को पेश करने के लिए सरकार को दिया समय
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनउ बेंच ने स्लॉटर हाउस और मीट शॉप्स के लाइंसेस और नवीनीकरण के बावत हाल ही में राज्य सरकार की एक हाई लेवल कमेटी की मीटिंग में लिए गए फैसलों को शपथ पत्र के जरिए प्रस्तुत करने को कहा है।
यह आदेश जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने सईद अहमद और अन्य की ओर से अलग अलग दायर कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया।
विभिन्न याचिकाओं में मीट शॉप्स के नवीनीकरण न करने या नए लाइसेंस जारी न करने के बावत राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर कोर्ट की शरण ली थी। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में स्पष्ट किया था कि पंसद का भेाजन व्यक्ति का अधिकार है।
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लिहाजा सरकार का निर्णय इस प्रकार का नहीं होना चाहिए कि लोगों के उस अधिकार पर कुठाराघात हो। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि इस विषय में 10 अप्रैल को होने वाली हाई पावर कमेटी के निर्णय से उसे अवगत कराया जाए।
राज्य सरकार की ओर से गुरूवार (13 अप्रैल) को उसके विशेष वकील एल पी मिश्रा हाजिर हुए और उन्होंने कहा कि कमेटी के निर्णय को वे शपथपत्र के माध्यम से पेश करना चाहते हैं। इस पर कोर्ट ने सरकार को समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 19 अप्रैल को नियत कर दी।