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HC ने योगी सरकार से पूछा- आप क्या चाहते हैं कि प्रदेश में कोई मांस न खाए ?

गोरखपुर में स्लाॅटर हाउस नहीं होने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, सरकार क्या चाहती है कि प्रदेश में कोई मांस न खाए?

tiwarishalini
Published on: 13 July 2017 8:37 PM IST
HC ने योगी सरकार से पूछा- आप क्या चाहते हैं कि प्रदेश में कोई मांस न खाए ?
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HC ने योगी सरकार से पूछा- आप क्या चाहते हैं कि प्रदेश में कोई मांस न खाए ?

इलाहाबाद: गोरखपुर में स्लाॅटर हाउस नहीं होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरूवार (13 जुलाई) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, सरकार क्या चाहती है कि प्रदेश में कोई मांस न खाए? कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि गौ हत्या के प्रतिबंध के बाद अन्य जानवरों के वध की सरकारी नीति सरकार स्पष्ट करे।

सरकार की तरफ से बहस कर रहे अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को प्रदेश में गौ हत्या प्रतिबंधित होने की जानकारी दी। कोर्ट ने जानना चाहा कि अन्य जानवरों के वध की क्या नीति है? आखिर सरकार स्लॉटर हाउस क्यों नहीं बना रही है। इस पर कोर्ट 20 जुलाई को फिर सुनवाई करेगी।

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यह आदेश चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस एम.के.गुप्ता की खंडपीठ ने दिलशाद अहमद की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने महाधिवक्ता से नीति स्पष्ट करने को कहा था।

महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया था कि जमीन उपलब्ध न हो पाने के कारण गोरखपुर में पशु वधशाला नहीं बन पा रही है। कोर्ट ने नाराजगी प्रकट करते हुए इस संबंध में सरकार को मत स्पष्ट करने को कहा था।

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गुरुवार को अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि पशुओं के वध को नियंत्रित करने का सरकार को अधिकार है। अवैध बूचड़खाने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत बंद कर दिए गए हैं।

कोर्ट ने कहा कि सरकार लोगों के खाने के अधिकार पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती। आखिर छोटे जानवरों के वध की व्यवस्था करनी होगी। वैसे भी 15 छोटे जानवरों के वध के लिए लाइसेंस जरूरी नहीं है। क्या सरकार चाहती है कि प्रदेश में कोई मांस ना खाए? पशु वध की व्यवस्था करने में क्या अड़चन है?

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यूपी की महिलाओं को ही जेई बनाने को चुनौती, सरकार से कोर्ट ने मांगा जवाब

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के कृषि विभाग में जूनियर इंजीनियर के 172 पदों की भर्ती में 20 फीसदी महिला कोटे की सीटें प्रदेश की ही महिलाओं से भरने की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। अन्य राज्यों की चयनित महिलाओं को नियुक्ति देने से अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के 23 जून 2017 के फैसले को याचिका के फैसले के अधीन रखा है।

यह आदेश जस्टिस अभिनव उपाध्याय ने उत्तराखण्ड और बिहार की वर्षा सैनी और अन्य महिला अभ्यर्थियों की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि भर्ती विज्ञापन निकाला गया। जिसमें यह व्यवस्था दी गई थी कि 20 फीसदी महिला आरक्षित सीट केवल यूपी की महिलाओं से भरी जाएगी।

याचीगण भी चयनित हुए। साक्षात्कार और दस्तावेज सत्यापन के बाद अंतिम चयन सूची में शामिल किया गया लेकिन जब नियुक्ति दी जानी थी तो आयोग ने 2007 के शासनादेश का हवाला देते हुए प्रदेश के बाहर के होने के आधार पर वापस ले लिया गया। जिसकी वैधता को चुनौती दी गई है।

आयोग के अधिवक्ता का कहना था कि एक बार चयन में शामिल होने के बाद चयन की वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती। याची अधिवक्ता का कहना है कि कैलाश चंद शर्मा केस के फैसले के तहत आयोग विभेदकारी नहीं कर सकता। अधिवक्ता का तर्क है कि अनुच्छेद 16 (3) के तहत महिला आरक्षण संसद के कानून से बना है।

राज्य सरकार या विधायिका को इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार नहीं है। 14 महिलाएं चयनित की गईं। केवल प्रदेश का निवासी होने के कारण दो ही महिला अभ्यर्थियों का चयन किया गया। महिला के लिए आरक्षित सीटें पुरूषों द्वारा भरना विधिक उपबंधों का उल्लंघन है।

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किस कानून से प्राइवेट कंपनी को पट्टे पर सरकार दे सकती है जमीन : हाईकोर्ट

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि किस कानून के तहत सरकार प्राइवेट कंपनी को पट्टे पर सरकारी जमीन दे सकती है। कोर्ट ने 17 जुलाई को पक्ष रखने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने बुलंदशहर के नत्थीमल की जनहित याचिका पर दिया है।

याची का कहना है कि 2009 में नगर पालिका परिषद अनूप शहर ने जयप्रकाश सेवा संस्थान को 40 हजार रुपए प्रतिवर्ष किराए पर 40 एकड़ जमीन 90 साल के लिए पट्टे पर दी।

जबकि 2009 में जमीन का सर्किल रेट 76 लाख प्रति एकड़ था। सरकार ने बिना किसी कानून के प्राइवेट कंपनी को बहुत कम किराये पर जमीन पट्टे पर दी है। ऐसा करने का सरकार को अधिकार नहीं है।

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मथुरा में यमुना किनारे अवैध निर्माण पर कोर्ट सख्त, वीसी और नगर आयुक्त से हलफनामा तलब

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में यमुना नदी घाट पर अवैध निर्माण के खिलाफ याचिका पर कड़ा रूख अपनाया है और मथुरा-वृन्दावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और नगर आयुक्त से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।

कोर्ट ने पूछा है कि बाढ़ एरिया में हुए निर्माण को अवैध मानते हुए सात साल पहले नोटिस दी गई है तो क्या कारण है कि अवैध निर्माण नहीं हटाया गया। इस संबंध में की गयी कार्यवाही का ब्यौरा मांगा है। साथ ही नगर आयुक्त से पूछा है कि यमुना में सीधे गिर रहे नालों की रोकथाम व सीवेज ट्रीटमेंट के क्या कदम उठाए गए हैं।

याचिका की सुनवाई 21 जुलाई को होगी। यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने मधु मंगलदास शुक्ल की जनहित याचिका पर दिया है।

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नोएडा में सड़क के लिए खरीदी जमीन को लेकर दाखिल याचिका खारिज

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर के जट्टा गांव में नोएडा अथारिटी द्वारा सड़क बनाने के लिए याची किसान की खरीदी जमीन से अधिक पर कब्जे के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि याची ने बिना पैमाइश की मांग किये निराधार अतिरिक्त जमीन पर कब्जे का आरोप लगा रहा है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस एम.के.गुप्ता की खंडपीठ ने श्रीमती रोशनी की याचिका पर दिया है।

बता दें कि सड़क बनाने के लिए नोएडा अथाॅरिटी ने अन्य लोगों के अलावा याची से 1.5525 एकड़ जमीन खरीदी। सड़क बनकर तैयार है। याची का कहना है कि अथाॅरिटी उसकी बाउण्ड्री वाॅल गिरा रही है। जबकि याची बाकी बची जमीन पर कोई निर्माण नहीं कर रही है।

अथाॅरिटी ने याची की जमीन 8 करोड़ 96 लाख में खरीदी है। अथाॅरिटी के अधिवक्ता शिवम यादव का कहना था कि अथाॅरिटी ने खरीदी जमीन को ही कब्जे में लिया है और अपनी जमीन पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्यवाही की है। याची का कहना था कि उसकी खेती की जमीन में अथारिटी हस्तक्षेप कर रही है।

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