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HC- सार्वजनिक मार्गों का अतिक्रमण करने वाले कितने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाया गया है

Anoop Ojha
Published on: 26 Jun 2018 4:13 PM GMT
HC- सार्वजनिक मार्गों का अतिक्रमण करने वाले कितने अवैध धार्मिक स्थलों को  हटाया गया है
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लखनऊ: हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा है कि क्या 1 जनवरी 2011 के बाद किसी सार्वजनिक मार्ग पर बने धार्मिक स्थल को हटाया गया है। कोर्ट ने जवाब देने के लिए सरकार को चार सप्ताह व याची पक्ष को उसके बाद के दो सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई इसके पश्चात होगी।

यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस इरशाद अली की वेकेशन बेंच ने पूनम रानी गौतम व अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया। याचियों ने सार्वजनिक मार्ग का अतिक्रमण कर बन रहे एक धार्मिक स्थल का मुद्दा उठाया है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 3 जून 2016 को लवकुश व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावत भी जवाब देने का आदेश राज्य सरकार को दिया।

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उल्लेखनीय है कि लवकुश मामले में कोर्ट ने 3 जून 2016 को दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि मुख्य सचिव सभी जिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर यह सुनिश्चित करें कि किसी भी सार्वजनिक मार्ग पर किसी भी प्रकार का धार्मिक निर्माण न हो सके। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि यदि इस प्रकार के निर्माण किसी सार्वजनिक मार्ग पर 1 जनवरी 2011 या उसके बाद हुए हैं तो उसे हटाया जाए और अनुपालन की रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजी जाए। 1 जनवरी 2011 से पहले बने इस प्रकार के निर्माण को एक योजना बनाकर स्थानांतरित किया जाए।

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कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए थे कि 10 जून 2016 या उसके बाद सार्वजनिक मार्गों पर अतिक्रमण कर धार्मिक स्थल न बनने पाए। इसकी जिम्मेदारी सम्बंधित जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, सीओ व एसपी-एसएसपी की होगी। आदेश का पालन न होने पर उक्त अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार होंगे।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

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