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HC का मुख्य सचिव को निर्देश- रिटायर सरकारी कर्मचारियों के बकाए 3 माह में दिलाना सुनिश्चित करें

aman
By aman
Published on: 4 May 2017 2:29 PM GMT
HC का मुख्य सचिव को निर्देश- रिटायर सरकारी कर्मचारियों के बकाए 3 माह में दिलाना सुनिश्चित करें
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HC का मुख्य सचिव को निर्देश- रिटायर सरकारी कर्मचारियों के बकाए 3 माह में दिलाना सुनिश्चित करें

लखनऊ: सूबे के हजारों रिटायर सरकारी कर्मचारियों को गुरुवार (04 मई) को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ी राहत मिली। रिटायर होने के बाद अपने देयों के लिए दफ्तर का चक्कर लगाने वाले उम्रदराज सरकारी कर्मचारियों की पीड़ा को समझते हुए कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया।

कोर्ट ने कहा, कि वह इस बावत विभागों से लंबित मामलों की रिपोर्ट मंगाकर देखें और उन्हें तीन माह में उसे निस्तारित करने के निर्देश दें। कोर्ट ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया कि देयों को अदा करने में देरी करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।

रिटायरमेंट के डेढ़ साल बाद भी नहीं मिला बकाया

ये आदेश जस्टिस एसएन शुक्ला व जस्टिस एसके सिंह (प्रथम) की खंडपीठ ने बाबूराम की सेवा मामले की याचिका पर दिया। याची लघु सिंचाई व भूजल विभाग से 31 अगस्त 2015 को रिटायर हुआ था। लेकिन डेढ साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उसके सेवानिवृत्ति के बाद के बकायों का भुगतान नहीं किया गया है। कोर्ट ने याची के मामले में विभाग के प्रमुख सचिव को दो माह में निर्णय लेने और भुगतान करने के आदेश दिए।

आगे की स्लाइड्स में पढ़ें और क्या कहा कोर्ट ने ...

संबंधित अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, कि 'सेवा मामलों की सुनवाई के दौरान हमारे संज्ञान में आया है कि बड़ी संख्या में रिटयरमेंट के भुगतानों को लेकर मामले विचाराधीन हैं। सरकार के समक्ष भी इस प्रकार के अनुरोध पड़े हैं। लेकिन संबंधित अधिकारियों की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा। यदि संबंधित अधिकारी थोड़ा भी ध्यान दें, तो कोर्ट के ऊपर इस प्रकार के मुकदमों का बोझ न बढ़े।'

मुख्य सचिव को निर्देश

कोर्ट ने आगे कहा, कि 'मुख्य सचिव प्रत्येक विभाग से इस बारे में रिपोर्ट मंगाएं कि इस प्रकार के कितने मामले लंबित हैं। साथ ही विभागों को निर्देश दें, कि जिन मामलों में कानूनी बाधा न हो, उन्हें तीन माह में निस्तारित किया जाए। कोर्ट के संज्ञान में यह भी आया है कि इस बाबत एक शासनादेश भी जारी किया गया है लेकिन अधिकारियों द्वारा इस पर सख्ती से पालन नहीं हो रहा।'

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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