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भ्रष्टाचार के मुकदमों की विवेचना में देरी पर कोर्ट सख्त
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के मामलों में दर्ज मुकदमों की विवेचना में लम्बे समय तक लंबित रखने को गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने कहा है कि प्रायः प्रकरण अदालत के संज्ञान में आती है कि विवेचनाएं लगभग एक दशक तक लंबित पड़ी रहती है। इसके साथ ही मुलजिमों की गिरफ्तारी भी नहीं होती है।
न्यायालय ने प्रमुख सचिव गृह उ.प्र. शासन को भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में व्यक्तिगत शपथ पत्र 21 नवम्बर तक दाखिला करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति वी.के.सिंह की खण्डपीठ ने एक साथ कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आज दिया है। न्यायालय में भ्रष्टाचार से जुड़े कई केसों की आज सुनवाई हुई।
जिसमें यह पाया गया कि भ्रष्टाचार निवारण में दर्ज प्राथमिकियों की विवेचनाएं काफी लंबे समय से लंबित थीं। अदालत विवेचक द्वारा की गयी विवेचना के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं थी। प्रकरण इलाहाबाद, आजमगढ़, बुलंदशहर, आगरा समेत कई जिलों से संबंधित था।