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HC: बिना मान्यता बीटीसी कोर्स चला रहा था विश्वविद्यालय, फीस के साथ हर्जाना देने का आदेश
डीम्ड विश्वविद्यालय को मान्यता 2010-11 से मिली किन्तु विश्वविद्यालय ने 2008-09 व 2009-10 सत्र में प्रवेश ले लिया। इसकी मान्यता नहीं थी। कोर्ट ने कहा है कि डीम्ड विश्वविद्यालय से ऐसी लापरवाही की उम्मीद नहीं की जा सकती जिससे छात्रों का करियर ही दांव पर लग जाए।
इलाहाबाद: बिना मान्यता लिये बीटीसी कोर्स चलाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नेहरू ग्राम भारती डीम्ड विश्वविद्यालय के क्रियाकलापों को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को सत्र 2008-09 व 2009-10 के बीटीसी के सभी छात्रों को जमा की गयी फीस वापसी के साथ प्रत्येक छात्र पचास हजार रूपये बतौर हर्जाना भुगतान करने का भी आदेश दिया है।
दांव पर लगा छात्रों का करियर
न्यायालय ने विश्वविद्यालय को यह धनराशि नियम विरुद्ध प्रवेश के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों से वसूल करने की छूट दी है।
कोर्ट ने कहा है कि दो माह के भीतर विश्वविद्यालय छात्रों को जमा फीस और पचास हजार रूपये का ड्राफ्ट सौंप दे।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति राजुल भार्गव की खण्डपीठ ने शशिकुमार द्विवेदी व अन्य की विशेष अपील पर दिया है।
मालूम हो कि डीम्ड विश्वविद्यालय को कुछ शर्तों के साथ बीटीसी कोर्स चलाने की अनुमति दी गयी थी।
मान्यता 2010-11 से मिली किन्तु विश्वविद्यालय ने 2008-09 व 2009-10 सत्र में प्रवेश ले लिया। इसकी मान्यता नहीं थी।
इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी। कोर्ट से राहत न मिलने पर यह अपील दाखिल की गयी थी।
कोर्ट ने कहा है कि डीम्ड विश्वविद्यालय से ऐसी लापरवाही की उम्मीद नहीं की जा सकती जिससे छात्रों का करियर ही दांव पर लग जाए।