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HC: हजरतगंज में BSP का प्रदर्शन प्रशासन की चूक, अफसरों पर हो कार्रवाई
लखनऊ: हाईकोर्ट ने पिछले दिनों हजरतगंज चौराहे पर बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा बिना अनुमति प्रदर्शन हो जाने को प्रशासनिक चूक करार दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले में उचित कार्रवाई करने का आदेश देते हुए कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने का कहा है। कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है कि उसने इस प्रकार के प्रदर्शनों से आगे निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं? मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।
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किसकी याचिका पर आदेश
जस्टिस एपी साही और जस्टिस विजय लक्ष्मी की बेंच ने एक पीआईएल की सुनवाई के दौरान बुधवार को यह आदेश पारित किए। याचिका 57 साल की एक महिला ने दायर की थी, जिसके बच्चे ने टीवी पर प्रदर्शन के दौरान बसपाइयों द्वारा प्रयोग किए गए अश्लील शब्दों को सुनकर उसके मायने अपनी मां से बताने को कहा था। बच्चे के इस प्रश्न से व्यथित मां ममता जिंदल ने बच्चे केा टरका दिया, लेकिन अपने संवैधानिक अधिकारों की व्यख्या के लिए कोर्ट में पीआईएल दायर कर जवाब मांगा।
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क्या है पूरा मामला?
विदित हो कि बीजेपी के पूर्व नेता दयाशंकर सिंह के बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ पिछले दिनों आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस पर मायावती की ओर से दिए गए तीखे बयान के बाद हजरंतगंज चैराहे को जाम कर बसपाइयों ने जमकर प्रदर्शन और नारेबाजी किया था। इस दौरान प्रयोग किए गए अश्लील शब्दों से आम जनता और यहां तक कि बच्चों को भी दो चार होना पड़ा था। इस प्रदर्शन के लिए प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शन हुआ और पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मूक दर्शक बने रहे।
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कोर्ट ने वरिष्ठ वकीलों से मांगा सहयोग
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बुधवार को ही वरिष्ठ वकीलों से इस विषय पर सहयोग मांगा था, ताकि कोर्ट इस संबंध में कोई ठोस फैसला सुना सके। कोर्ट के आदेश की प्रति गुरुवार को उपलब्य हो सकी है।
अभिव्यक्ति की आजादी की होगी व्याख्या
कोर्ट ने संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकारों की व्याख्या करते हुए कहा कि वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में इसकी व्याख्या की है। लेकिन यहां मामला उस तीसरे व्यक्ति के हक का है, जिसे प्रदर्शन से कोई सीधा मतलब नहीं है। लेकिन फिर भी उसे वह सब सुनना पड़ता है, जिसे वह अश्लील समझता है और सुनने से बचना चाहता है। कोर्ट ने कहा कि वह ऐसे थर्ड पर्सन के अधिकारों की व्याख्या करने को तत्पर है। इसके लिए कोर्ट ने अवध बार एशोसियेशन को नेाटिस जारी कर वरिष्ठ वकीलों का सहयोग मांगा है।