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HC: जाम की समस्या के समाधान के लिए सचिवों की समिति बनाने के आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी में व्याप्त जाम की समस्या के समाधान के लिए एक सप्ताह में संबंधित विभागों के सचिवों की समिति बनाने का आदेश मुख्य सचिव को दिया है।

tiwarishalini
Published on: 6 July 2017 2:23 PM GMT
HC: जाम की समस्या के समाधान के लिए सचिवों की समिति बनाने के आदेश
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लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी में व्याप्त जाम की समस्या के समाधान के लिए एक सप्ताह में संबंधित विभागों के सचिवों की समिति बनाने का आदेश मुख्य सचिव को दिया है। उक्त समिति ट्रैफिक समस्याओं को अगले एक सप्ताह में चिन्हित करेगी। वहीं हाईकोर्ट परिसर के आसपास अर्थात शहीद पथ के समापन वाले स्थान और पॉलीटेक्निक चौराहे पर ट्रैफिक व्यव्स्था को सुधारने के कार्य को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लेते हुए, तत्काल कार्रवाई के भी आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने इस संबंध में अग्रिम सुनवाई तक अंतरिम रिपोर्ट भी तलब की है।

जस्टिस एपी साही और जस्टिस विवेक चौधरी की खंडपीठ ने यह आदेश जाम समस्या पर स्वतः संज्ञान लेते हुए, शुरू की सुनवाई पर दिया। कोर्ट के पूर्व के आदेश के अनुपालन में तमाम विभागों ने जवाबी हलफनामा दाखिल किया। जिसमें विभागों ने अपनी ओर से किए गए उपायों की जानकारी दी लेकिन कोर्ट उनके जवाबों से संतुष्ट नहीं हुई।

कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि जवाबी हलफनामों में समस्या के समाधान के प्रति न तो कोई ठोस प्रगति दिख रही है और न ही विभागों में आपस में कोई सामंजस्य है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और इसके प्राधिकरण मामले को एरिया वाइज देखें।

कोर्ट ने मुख्य सचिव को एक सप्ताह के भीतर संबंधित विभागों के सचिवों की समिति बनाने के आदेश दिए। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि उक्त समिति इसके अगले एक सप्ताह में समस्याओं को चिन्हित करेगी। इसके तत्काल बाद विभिन्न प्रस्तावों के द्वारा उन समस्याओं का समाधान किया जाए।

इस संबंध में कोर्ट को भी शपथ पत्र के जरिए बताया जाए कि क्या-क्या उपाय किए गए। कोर्ट ने कहा कि छह सप्ताह में यह कार्यवाही पूरी कर ली जाए। कोर्ट ने समिति के दायित्वों के संबंध में आगे कहा कि उक्त समिति संबंधित एजेंसियों के कार्य भी तय करे।

कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई भी प्राधिकारी दायित्व निर्वहन में असफल होता है तो हम उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे। कोर्ट ने पॉलीटेक्निक चौराहे और शहीद पथ के समापन वाले स्थान पर ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लेते हुए, इस संबंध में तत्काल कार्रवाई कर अग्रिम सुनवाई पर अंतरिम रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। अग्रिम सुनवाई 27 जुलाई को होगी।

कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट परिसर के पास शहीद पथ के समापन वाले स्थान पर ट्रैफिक सिग्नल तक नहीं है। पॉलीटेक्निक चौराहे पर जाम की समस्या जस की तस है। वहीं के ओवर ब्रिज के बारे में कहा जा रहा है कि इसमें अभी एक महीने और लगेंगे। गोमती बैराज के सड़क के मामले पर कोर्ट ने सिंचाई विभाग की भी खिंचाई की।

कोर्ट ने गोमती बैराज का जिक्र करते हुए कहा कि निर्माण कार्यों का न पूरा होना भी ट्रैफिक समस्या का एक बड़ा कारण है। यहां की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है। लिहाजा प्रमुख सचिव, सिंचाई विभाग इसके लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त करें जो इस कार्य को देखे व अग्रिम सुनवाई पर रिपोर्ट दें।

कई अधिकारी रहे मौजूद

सुनवाई के दौरान एसपी (ट्रैफिक), राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के प्रोजेक्ट मैनेजर, नगर आयुक्त और लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष मौजूद रहे। जिसमें एनएचएआई की ओर से दिए हलफनामे में उसके अधिकार क्षेत्र में उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई।

वहीं नगर निगम का कहना था कि अतिक्रमण हटाने के लिए तमाम कदम उठाए गए हैं और अब भी उठाए जा रहे हैं। एलडीए की ओर से कहा गया कि पार्किंग वाले स्थानों पर ही वाहन खड़ा होना सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं और अतिक्रमण के खिलाफ भी कार्रवाई चल रही है।

प्रमुख सचिव (गृह) की ओर से दाखिल हमफनामे में कहा गया क्लि पुलिसकर्मियों व होमगार्डों की तैनाती यातायात व्यवस्था सुदृढ रखने के लिए की गई है। लेकिन उनके हलफनामे में पुलिसकर्मियों की कमी को भी उद्धत किया गया।

हालांकि, यह भी बताया गया कि सरकार ने भर्ती प्रक्रिया के लिए कदम उठाए हैं। उधर यूपी परिवहन निगम की ओर से दिए जवाब में बताया गया कि अनाधिकृत स्थानों पर पार्किंग न होने देने के लिए एक ट्रैफिक सुपरिटेंडेंट की तैनाती की गई है व इस सम्बंध में निर्देश भी जारी किए गए हैं।

लोक निर्माण विभाग का कहना था कि समस्या के समाधान के लिए सेंट्रल रोड रिसर्च से सम्पर्क किया गया है। न्यायालय ने किसी भी विभाग का जवाब संतोषजनक नहीं पाया।

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