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HC ने कहा- गाजियाबाद में प्लांट आवंटन में स्टैंप घपले के दोषी अधिकारियों पर हो कार्यवाही
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निरस्त प्लाटों का पुर्नआवंटन करने में स्टैंप घपले को गंभीरता से लिया है और सचिव नगर विकास और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निरस्त प्लाटों का पुर्नआवंटन करने में स्टैंप घपले को गंभीरता से लिया है और सचिव नगर विकास और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति राजीव जोशी की खण्डपीठ ने राजेन्द्र त्यागी की याचिका पर दिया है। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि सेक्टर रेट पर प्लाटों का आवंटन किया गया है। सर्किल रेट का पालन किया गया। कम स्टैंप नहीं दिया है।
हलफनामे में एक चार्ट लगाया जिससे उपाध्यक्ष के झूठ की कलई खुल गई। जिस दिन प्लाट आवंटन हुआ उसी दिन वह प्लाट बेच दिया गया।
दोनों की कीमत और स्टैंप में 2 से 3 गुने का अंतर है। ऐसे 2 दर्जन प्लाटों का आवंटन हुआ जिसमें हजारों की स्टैंप ड्यूटी बढ़कर लाखों में पहुंच गई और दावा किया जा रहा है कि नियमानुसार स्टैंप लिया गया है। कोर्ट ने सर्किल रेट सहित 4 अप्रैल 2006 से जून 06 तक के बैनामों का स्टैंप का ब्यौरा सहित सर्किल रेट का डिस्पैच रजिस्टर तलब किया था। पेश दस्तावेज भी पूर्णतया मूल नहीं थे।
कोर्ट ने कहा कि 1983 की योजना में प्लाटों के पुर्नआवंटन की व्यवस्था थी। निरस्त प्लाटों का आवंटन करने की योजना नहीं थी। प्लाट आवंटन निरस्त होने के बाद पंजीकरण राशि जब्त हो गई तो उसे कैसे समायोजित किया गया। साथ ही पुर्नआवंटन की अवधि छह महीने तक थी तो कई वर्षाें तक कैसे आवंटन किए गए। 52 हजार पर आंवटन हुआ और उसी दिन एक लाख 24 हजार स्टैंप देकर वहीं प्लाट बेच दिया गया। एक ही दिन में रेट में इतना अंतर कैसे आया। दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए अन्यथा कोर्ट कार्यवाही करेगी। कोर्ट ने दोषी अधिकारियों की सूची मांगी है।