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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, सुपरटेक बिल्डर्स के 1,064 अवैध फ्लैट रहेंगे सील
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर्स के 1,064 अवैध फ्लैटों को सील करने का आदेश जारी रखते हुए राज्य सरकार को विचाराधीन अपील को निर्णीत करने का निर्देश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी। हालांकि, कोर्ट ने अवैध फ्लैटों में रह रहे लोगों को राहत दी है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने वीके शर्मा की याचिका पर दिया है। कोर्ट के आदेश से 904 खाली फ्लैट सील किए गए हैं। कोर्ट ने इस मामले के निपटारा होने तक सील हटाने की मांग अस्वीकार कर ली है।
राज्य सरकार के समक्ष अपील लंबित है
याचिका पर अधिवक्ता कुणाल रवि ने बहस की। इनका कहना था कि बिल्डर ने अवैध निर्माण की कम्पाउण्डिंग लेकर वैध करार देने की अर्जी दी है। नोएडा अथॉरिटी ने अर्जी निरस्त कर दी, जिसके खिलाफ राज्य सरकार के समक्ष अपील लंबित है। याची का कहना था कि अपील निर्णीत होने तक फ्लैट सील करने का आदेश वापस लिया जाए। कोर्ट ने इसे नहीं माना। 9 जनवरी 2017 को अथॉरिटी ने अर्जी निरस्त की है। बिल्डर पर 1,064 फ्लैट अवैध रूप से बनाने का आरोप लगाया गया है।
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'सुपरटेक जारसूट्स प्रोजेक्ट' से जुड़ा मामला
गौरतलब है, कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के 'सुपरटेक जारसूट्स प्रोजेक्ट' के अवैध फ्लैटों को सील करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने सुपरटेक डेवलपर की ओर से दाखिल एफिडेविट को संतोषजनक न मानते हुए 2 मई तक बेहतर एफिडेविट देने को भी कहा था। साथ ही कोर्ट ने डेवलपर सुपरटेक से पूछा था कि कितने फ्लैट आवंटित हुए हैं, कितने में आवंटियों को कब्जा दिया गया है और कितने आवंटित नहीं किए गए हैं। यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने वी के शर्मा व 8 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था।
ग्रेटर नोएडा के प्लाट जीएच- 2 सेक्टर ओमनी कान-1 में सुपरटेक जार शूट योजना के तहत 2007 में 844 फ्लैट्स का नक्शा पास कराया गया। लेकिन 1064 फ्लैट्स बना लिए गए। यह फ्लैट बिना नक्शा पास कराए और बिना अनुमति के बना दिए गए।