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HC ने कहा- वेतन निर्धारण की गलती को अधिकतम 3 साल में सुधारें, नहीं तो जिम्मेदार अफसर से हो रिकवरी
लखनऊ: हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि वेतन निर्धारण में हुए गलती को अधिकतम 3 साल में सुधारा जा सकता है न कि संबधित विभाग जब चाहे तब। कोर्ट ने कहा कि यदि उक्त प्रकार की गलती 3 साल में नहीं सुधारी जाती और वह गलती बाद में पता चलती है, तो उसकी जिम्मेदारी कर्मचारी पर सौंपने की बजाय उस जिम्मेदार अफसर से रिकवरी की जाए, जिसने यह गलती की हो।
इसी के साथ कोर्ट ने सेवानिवृत होने के 6 साल बाद वेतन निर्धारण में गलती बताकर पेंशन करने के आदेश को रद्द करने के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से दायर एक रिट याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार पर 5 हजार रुपए का हर्जाना भी ठोका है।
कोर्ट ने सरकार को लगाई लताड़
यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस आरएन मिश्रा द्वितीय की बेंच ने दिया। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही सरकार को लताड़ लगाई। कहा, कि जब मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से तय हो चुका है, तो राज्य सरकार की ओर से याचिका क्यों दाखिल की गई?
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क्या है मामला?
भीम सेन शर्मा सिंचाई विभाग से असिस्टेंट इंजीनियर के पद से 1998 में रिटायर हुए। रिटायर होने के 6 साल बाद विभाग ने कहा कि 1979 में उन्हें एक गलत इंक्रीमेंट मिल गया था। लिहाजा उनकी पेंशन घटा दी गई और अधिक जारी पेंशन की रिकवरी जारी कर दी गई। यह मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तय हो गया, परंतु विभाग ने फिर से रिटायर कर्मचारी के खिलाफ याचिका दायर कर दी। इस पर कोर्ट ने खफा होकर उपरोक्त आदेश पारित किया।
कोर्ट ने कहा- कर्मचारी भुगतते हैं खामियाजा
कोर्ट ने कहा, कि अक्सर ऐसे मामले आते हैं जिनमें कई वर्षों खासकर रिटायर होने के बाद कर्मचारी के पे फिक्सेशन में गलती बताकर विभाग उसकी पेंशन की रकम रोक देता है। कर्मचारी उसके खिलाफ वर्षों अदालतों के चक्कर लगाया करता है। कोर्ट ने कहा कि सेवा नियमावली में भले ही वेतन निर्धारण में सुधारने की कोई समय सीमा न तय हो, लेकिन यह उचित समय में होना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने 3 साल की समय सीमा तय कर दी।