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गन्ना मिलों के सीजनल कर्मियों को एक अक्टूबर से नियुक्ति का हक नहीं : HC
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गन्ना सहकारी समितियों में कार्यरत सीजनल स्टाफ एक अक्टूबर से नियुक्ति पाने का हकदार नहीं माना है और कहा है कि जो कर्मी ए श्रेणी में हैं, वे पेराई सत्र में काम उपलब्ध होने की दशा में नियुक्ति पाने के अधिकारी है।
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गन्ना सहकारी समितियों में कार्यरत सीजनल स्टाफ एक अक्टूबर से नियुक्ति पाने का हकदार नहीं माना है और कहा है कि जो कर्मी ए श्रेणी में हैं, वे पेराई सत्र में काम उपलब्ध होने की दशा में नियुक्ति पाने के अधिकारी है।
यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने गन्ना समिति की विशेष अपील पर दिया है। एकल पीठ ने कहा था कि रेग्यूलेशन 26 के तहत सीजनल स्टाफ पेराई सत्र शुरू होने पर नियुक्ति पाने के हकदार हैं। समिति के वकील रवींद्र सिंह का कहना था कि एकल पीठ का फैसला सही नहीं है। रेग्यूलेशन 26 की सही व्याख्या नहीं की गई है। केवल सीजनल स्टाफ को अगले पेराई सत्र के लिए पुनर्नियुक्ति का सुनिश्चित करना मात्र है।
इसका यह आशय नहीं है कि पेराई सत्र एक अक्टूबर से शुरू होते ही उन्हें नियुक्ति दी जाए। कोर्ट ने एकल पीठ के फैसले को रद्द कर दिया। इस आदेश में कहा गया था कि सीजनल स्टाफ वेतन पाने के हकदार है।
अनिल कुमार पांडेय और अन्य के एक अक्टूबर से नियुक्ति करने की मांग में याचिका दाखिल की थी और कहा था कि सीजन खत्म होने के बाद भी खाली समय का वेतन दिलाया जाए। कोर्ट ने काम नहीं, वेतन नहीं के सिद्धांत को माना, लेकिन पेराई सत्र शुरू होते ही नियुक्ति कर वेतन देने का आदेश दिया। इसे अपीलीय न्यायालय ने सही नहीं माना।