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हेड कांस्टेबल ने खोली अपने ही विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की पोल, बदले में हुई जेल
बेगुनाहों को किस तरह पुलिस फर्जी लूट के मामले में फसाती है इसका खुलासा पुलिस विभाग के ही एक हेड कांस्टेबल ने किया l जिसकी कीमत उसे जेल काट
कानपुर: बेगुनाहों को किस तरह पुलिस फर्जी लूट के मामले में फसाती है इसका खुलासा पुलिस विभाग के ही एक हेड कांस्टेबल ने किया l जिसकी कीमत उसे जेल काट कर चुकानी पड़ी। उसे अपने ही थाने के इंस्पेक्टर और चौकी इंजार्ज ने फसा दिया l अब वह न्याय पाने के लिए अधिकारियों के आगे पीछे घूम रहा हैl
कुछ दिनों की महमान है बेगुनाह इंस्पेक्टर की पत्नी
- बेगुनाह होने के बावजूद जेल के अंदर बंद इंस्पेक्टर की पत्नी को कैंसर है और वह चंद दिनों की महमान है
- वह चाहती है कि उसके मरने से पहले उसके पति को न्याय मिल जाए l
- लेकिन भ्रष्ट सिस्टम के आगे इस सिपाही की गुहार सुनने वाला कोई नही हैl
- वहीं अधिकारियों के साथ भ्रष्ट पुलिसकर्मी चाय की चुस्की ले रहे हैं।
कहां का मामला ?
- उरई के शांति नगर में रहने वाले दया शंकर वर्मा घाटमपुर थाने के बिराहर चौकी में तैनात है l
- परिवार में पत्नी केशवती कैंसर से पीड़ित है और वह कुछ ही दिनों की महमान हैl
- बड़ी बेटी शशि वर्मा मथुरा से बीटेक कर रही है वही बेटा भूषण 9वीं क्लास का स्टूडेंट है l
- दयाशंकर वर्मा के मुताबिक सन 2014 में जुलाई माह में कई लूट की वारदातें हुई थी l
- उस वक्त वो थाना के गुजैनी चौकी में तैनात थे।
- क्षेत्र में कई लूट की वारदातें हुई थी और इन्स्पेक्टर संजय मिश्रा पर लूट खोलने का दबाव था।
- चौकी इंजार्ज वीरेंदर प्रताप और इन्स्पेक्टर संजय मिश्रा दो युवकों को पकड़ कर चौकी लाए थे जिनका नाम विनोद गुप्ता और मोनू सिंह था l - उनको दो दिनों तक चौकी में ही बैठा कर रखा था और उनकी निगरानी के लिए दया शंकर को ड्यूटी पर लगा दिया गया l
पैसे लेकर बेगुनाहों को किया आजाद
- इसके बाद संजय मिश्रा और वीरेंदर प्रताप ने विनोद गुप्ता से 10 हजार रुपये लेकर उसे छोड़ दिया l
- चेकिंग के दौरान विनोद की जेब से 4 हजार रुपये निकले थे वो रुपये भी वीरेंदर प्रताप ने अपने पास रख लिए l
- इसके बाद संजय मिश्रा और चौकी इंचार्ज वीरेंदर प्रताप मोनू को थाने ले गए और उसको जमकर पीटा और जबरन लूट की वारदात कुबुलवाने में लग गए l
अपने जाल में मुझे फसाया- दया शंकर (बेगुनाह इंस्पेक्टर)
- इंस्पेक्टर दया शंकर ने बताया कि कहने को तो ये सारा कांड इंस्पेक्टर संजय मिश्रा और थाना इंचार्ज वीरेंदर प्रताप ने किया था। मगर इनसब के पीछे मेरा हाथ बता कर मेरे खिलाफ FIR दर्ज कर मुझे जेल भेज दिया गया।
युवकों के परिजनों से बताई हकीकत तो रिहा हुए
- दया शंकर ने बताया की जब उन्हें जमानत मिली तो वो विनोद के परिजनों से मिले जिसके बाद उनको जेल से आजादी मिली।
-उनका कहना है कि भले ही वो जेल से बाहर आ गए हैं मगर उनको अपनी इज्जत वापस चाहिए।
दर दर भटक रहे दया शंकर
- इंस्पेक्टर दया शंकर ने बताया कि ऐसा कोई अधिकारी नही बचा है जिसकी चौखट पर मै नहीं गया। लेकिन मेरी फरियाद किसी ने नही सुनी l
- मेरी यही मांग है इस पूरे मामले की जाँच कराई जाए जो आरोपी है उनके खिलाफ कार्यवाई की जाए l
दयाशंकर की पत्नी केशवती वर्मा का कहना है कि मेरीजिंदगी अब चंद रोज की बची है l मेरी अंतिम इच्छा यही की मेरे मरने से पहले मेरे पति को इंसाफ मिल जाए।
- उन्होंने पूरी नौकरी साफ़ सुथरे ढंग से की है।
- कभी किसी के साथ गलत नहीं किया l लेकिन जिस तरह से उन्हें फसाया गया है उनके सम्मान को ठेस पहुंची हैl