Allahabad: 13 मार्च को होगी श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि और शाही ईदगाह केस की सुनवाई

Allahabad: आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के मामले की सुनवाई 11.30 बजे जस्टिस मयंक जैन की सिंगल बेंच में होगी।

Aakanksha Dixit
Published on: 29 Feb 2024 6:34 AM GMT (Updated on: 29 Feb 2024 8:12 AM GMT)
Uttar Pradesh
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि source: social media

Shri Krishna Janmabhoomi: इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के मामले की सुनवाई 11.30 बजे जस्टिस मयंक जैन की सिंगल बेंच में हहुई। इस मामले में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव और सात अन्य व्यक्तियों द्वारा दाखिल किया गया सिविल वाद की पोषणीयता का मुद्दा था। इस मामले में शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से सीपीसी के आर्डर 7 रूल 11 के तहत दाखिल अर्जियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई की गयी।

आगे बढ़ी सुनवाई की तारीख

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के मामले की सुनवाई अब 13 मार्च को होगी। इस मामले में अदालत कुल 18 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच द्वारा हो रही है। हिंदू पक्ष की याचिकाओं में दावा किया गया है कि मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है। साथ ही, 23 फरवरी को मस्जिद पक्ष ने सिविल वाद की पोषणीयता पर आपत्ति दर्ज की थी। शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे के लिए एडवोकेट कमीशन की मांग को हाई कोर्ट ने मान्यता दी थी और अब मस्जिद पक्ष ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगाई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट इस विवाद से जुड़े अन्य केसों की सुनवाई जारी रखेगा।

मस्जिद कमेटी को जमीन दी गई, वकील का दावा

पिछले साल मई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित सभी मामलों को मथुरा कोर्ट से अपने पास ट्रांसफर कर लिए थे। शुक्रवार यानी 23 फरवरी को इस मामले में सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने अगली सुनवाई 29 फरवरी को करने का आदेश दिया था। शुक्रवार को बहस जारी रखते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुईं वक्फ बोर्ड की अधिवक्ता तसलीमा अजीज अहमदी ने दलील दी कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्म सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के बीच एक समझौता हुआ था। जिसके तहत जिस जमीन पर मस्जिद खड़ी है, वह जमीन मस्जिद कमेटी को दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि बाद में इस समझौते की पुष्टि एक अदालत ने 1974 में एक आदेश पारित कर की थी। वकील ने कहा था कि मौजूदा वाद उस समझौते और अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए दायर किया गया है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं की जा सकती।

Aakanksha Dixit

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नमस्कार मेरा नाम आकांक्षा दीक्षित है। मैं हिंदी कंटेंट राइटर हूं। लेखन की इस दुनिया में मैने वर्ष २०२० में कदम रखा था। लेखन के साथ मैं कविताएं भी लिखती हूं।

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