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UP: NGO की ग्रांट रोकने की चुनौती याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने देवरिया की मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान नामक एनजीओ की सरकारी ग्रांट रोकने की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है।
बता दें, कि सचल पालना गृह योजना घोटाले की सीबीआई जांच के चलते प्रदेश के सभी एनजीओ की सरकारी ग्रांट प्रमुख सचिव, महिला कल्याण ने 13 जून के आदेश के बाद रोक दी है। जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि सचल पालना गृह योजना के अलावा अन्य योजनाओं की भी ग्रांट रोक दी गई है, जो गलत है।
याचिका की अगली सुनवाई अब 28 जुलाई को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अशोक कुमार की खंडपीठ ने दिया है। याचिका का प्रतिवाद स्थाई अधिवक्ता एवं भारत सरकार के अधिवक्ता अरविन्द गोस्वामी ने किया।
याची संस्था देवरिया, गोरखपुर में परिवार परामर्श केंद्र, वृद्ध महिला आवास, सुधार गृह, बाल गृह, बालिका केंद्र, बाल गृह शिशु विद्यालय, एडॉप्शन सेंटर चलाती है। लखनऊ पीठ ने सचल पालना गृह योजना में करोड़ों के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। जिस पर प्रमुख सचिव ने दोषमुक्त होने तक पालना गृह चलाने वाले सभी एनजीओ की ग्रांट रोक दी है।
गौरतलब है कि एनजीओ पर ईंट भट्ठों, मकानों के निर्माण जैसे अन्य स्थलों पर काम करने वाली महिलाओं के छोटे बच्चों की देखरेख के लिए योजना में करोड़ों का बजट दिया। लेकिन इस काम में लगी संस्थाओं ने जमकर लूट की। वास्तव में कोई काम न कर सरकारी धन का बंदरबाट किया। अब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।