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तीन छात्रों की काउसिलिंग कराने के आदेश के खिलाफ BBAU की स्पेशल अपील खारिज
लखनऊ : हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने बाबा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में तीन छात्रों को दाखिला देने के लिए काउंसिलिंग कराने संबंधी सिंगल बेंच के आदेश केा चुनौती देने वाली एक स्पेशल अपील पर महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह के तर्को को नकारते उस याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि छात्रों को दाखिला देने में क्या हर्ज है जब सिंगल बेंच ने स्वयं ही उन पर अनुशासन संबधी कई बंदिशें लगा रखी हैं।
यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने बाबा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय की ओर से दायर स्पेशल पर पारित किया। अपील दायर कर सिंगल बेंच के गत 19 सितम्बर के आदेश को चुनौती दी गई थी। उक्त आदेश में सिंगल बेंच ने बसंत कुमार कनौजिया समेत तीन छात्रेा को काउंसिलिंग के लिए इजाजत दे दी थी और साथ उनसे शपथपत्र देने को कहा कि वे विश्वविद्यालय मेे केाई अनुशासनहीनता या हिंसा नहीं करेंगे । सिंगल बेंच के सामने छात्रेां ने विश्वविद्यालय की ओर से 1 सितम्बर को जारी एक नेाटिस केा चुनौती दी थी।
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नोटिस में लिखा था कि यदि किसी छात्र के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही की जाती है या उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाती है तो उसका दाखिल नहीं लिया जायेगा। हांलाकि आगे यह भी लिखा था कि यदि ऐसे छात्र का दाखिला लिया जाता है तो उसका स्टांप पेपर पर अंडरटेकिंग लिया जायेगा कि वह कोर्स के दौरान अनुशासनहीनता नहीं करेगा और न ही हिंसा में शामिल होगा।
विश्वविद्यालय की ओर से बहस करते हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने जोरदार तर्क दिया कि छात्रेां के खिलाफ देा प्राथमिकियां लिखी गयी थीं लिहाजा सिंगल बेंच के सामने 1 सितम्बर को जारी नेाटिस के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं थी। अतः सिंगल बेंच का 19 सितम्बर का आदेश रद किया जाये।
डिवीजन बेंच ने यह कहते हुए महाधिवक्ता के तर्को को मानने से इंकार कर दिया कि उसी नेाटिस में यह भी है कि यदि प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद दाखिला लिया जाता है तो छात्र से भविष्य में अनुशासनहीनता न करने के बावत अंडरटेकिंग ली जायेगी और सिंगल बेंच ने अनुशासनहीनता न करने के बावत छ़ात्रों को हलफनामा देने का आदेश दिया था तो ऐसे में सिंगल बेंच के आदेश में दखल देने की केाई आवश्यकता नही है।