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कोर्ट में चर्चों की संपत्ति के काॅमर्शियल इस्तेमाल पर ब्यौरा तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने धार्मिक स्थल के होने के बावजूद काॅमर्शियल लिहाज से इस्तेमाल की जा रही संपत्तियों का ब्यौरा मांगा हैं।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने धार्मिक स्थल के होने के बावजूद काॅमर्शियल लिहाज से इस्तेमाल की जा रही संपत्तियों का ब्यौरा मांगा हैं।
यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस डीएस त्रिपाठी की बेंच ने स्वराज्य पार्टी ऑफ इंडिया की ओर से दाखिल याचिका पर दिए। इस याचिका में चर्चों की संपत्तियों के काॅमर्शियल इस्तेमाल का मुद्दा उठाया गया है।
याची के वकील शेष नारायन पांडेय ने बताया कि याचिका में प्लेसेस ऑफ वरशिप स्पेशल प्रोविजन एक्ट- 1991 के आधार पर, चर्चों की संपत्तियों का काॅमर्शियल इस्तेमाल होने को गैर कानूनी बताया गया है।
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याचिका में इस पर रोक लगाने और इसमें शामिल लोगों को दंडित किए जाने की मांग की गई है। लखनऊ की ऐसी कुछ संपत्तियों का उदाहरण देते हुए याची की ओर से कहा गया कि अधिनियम की धारा- 3 स्पष्ट प्रावधान करती है कि धार्मिक सम्पत्तियों का इस्तेमाल धार्मिक कार्यों के सिवा किसी अन्य कार्य के लिए नहीं किया जा सकता।
जबकि धारा- 6 के अनुसार ऐसा करने वाले को तीन साल की सजा का प्रावधान है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के उपरांत याची को दो सप्ताह में प्रदेश भर से ऐसी संपत्तियों का ब्यौरा जुटा कर, कोर्ट के समक्ष दाखिल करने को कहा।