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हाईकोर्ट : जूते-मोजे के टेंडर में योगी सरकार ने नहीं दिखायी दुर्भावना
लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चें को मौजूदा सत्र मे जूते-मोजे उपलब्ध करवाने के लिए जारी टेंडर प्रकिया में किसी प्रकार की मनमानी नहीं पाई है।
कोर्ट ने कहा कि योगी सरकार ने जो भी निर्णय लिया है वह जनहित में लिया है। सरकार का पक्ष जानने के बाद टेंडर प्रकिया में किसी प्रकार के दखल की आवश्यकता नहीं है क्येंकि इससे बच्चों के ही नुकसान होगा क्येंकि उन्हें समय से जूते मोजे नहीं उपलब्ध हो पायेंगें।
यह आदेश देते हुए जस्टिस शबीहुल हस्नेन एवं जस्टिस राजन राय की बेंच ने खादिम इंडिया एवं अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से अलग अलग दाखिल याचिकायें निस्तारित कर दी हैं। खादिम इंडिया की ओर से कहा गया था कि जूते मोजे की सप्लाई के लिए सरकार ने जो टेंडर जारी किया था उसमे सबसे कम बोली उसी ने लगायी थी पंरतु उसे कुल सप्लाई का केवल दस प्रतिशत सप्लाई करने का लेटर आफ इंटेट जारी किया गया जबकि टेंडर की शर्तें के अुनसार उसे कुल होने वाली सप्लाई का कम से कम 25 प्रतिशत और अधिकतम 60 प्रतिशत तक सप्लाई का अधिकार सरकार की ओर से उसे देना था।
आगे कहा गया कि कई कंपनीज को दस दस प्रतिशत की सप्लाई का ही लेटर आफ इंटेन्ट जारी किया गया है जो कि टेंडर की शर्तो के विपरीत है। वहीं खादिम इंडिया की खिलाफ कंपनी ने कहा कि खादिम इंडिया ग्रुप टेंडर की शर्तो को पूरा नहीं करती थी। दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया कि टेंडर की शर्तो में साफ था कि अंतिम निर्णय सरकार का होगा और वहीं मान्य होगा।
यह भी कहा गया कि सरकार ने जो भी निर्णय लिया वह जनहित मे लिया गया है ताकि बच्चें को समय से जूते मोजे मिल सकें क्येकि 18 जुलाई से उनका नया सत्र प्रारम्भ होने वाला है। याचिकाओं के एक साथ निस्तारित करते हुए कोर्ट ने कहा कि उसे ऐसा नही लगता कि सरकार ने किसी दुर्भावना के चलते ऐसा निर्णय लिया है।
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