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हाईकोर्ट से छात्रों को राहत, कहा- कॉलेज का दर्जा बदलने से रद्द नहीं हो सकता दाखिला
हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि काउंसलिंग के दौरान माइनॉरिटी स्टेटस प्राप्त कॉलेजो को अल्पसंख्यक विद्यालय न माना जाय, बल्कि इसका अल्पसंख्यक स्टेटस अगले सत्र 2016-17 से दिया जाय, ताकि इस वर्ष दाखिला ले रहे छात्रों को कोई हानि न हो।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्तमान शैक्षणिक सत्र में बीटीसी कोर्स की काउंसलिंग में फीस जमा कर चुके छात्रों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है की ऐसे छात्र जिन्होंने काउंसलिंग फीस जमा कर दी है, उनका एडमिशन इस आधार पर निरस्त न किया जाय कि उनका कॉलेज इसबीच माइनॉरिटी स्टेटस वाला (अल्पसंख्यक दर्जा) घोषित हो गया है।
चयन के बाद दाखिला निरस्त नहीं
-कोर्ट ने कहा है कि काउंसलिंग के अंतिम दिन 21 सितंबर को किसी इंस्टिट्यूट को माइनॉरिटी स्टेटस घोषित कर देने से फीस जमा कर चुके छात्रों के साथ नाइंसाफी होगी, यदि उनका एडमिशन निरस्त कर दिया जाता है।
-हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि काउंसलिंग के दौरान माइनॉरिटी स्टेटस प्राप्त कॉलेजो को अल्पसंख्यक विद्यालय न माना जाय, बल्कि इसका अल्पसंख्यक स्टेटस अगले सत्र 2016-17 से दिया जाय, ताकि इस वर्ष दाखिला ले रहे छात्रों को कोई हानि न हो।
-यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कुमारी रुची सिंह की याचिका पर दिया है।
-याची ने बीटीसी ट्रेनिंग कोर्स के लिए आवेदन किया है। ओबीसी महिला साइंस श्रेणी में उन्हें 206.85 अंक मिले, जबकि कट ऑफ अंक 204.68 था।
-याची बीटीसी काउंसलिंग में उपस्थित हुई। उसकी काउंसलिंग हुई और उसके सभी ओरिजिनल कागजात जमा करा लिये गये।
-याची ने 41 हजार रुपए फीस भी जमा कर दी। 21 सितम्बर को बीटीसी काउंसलिंग कि लास्ट डेट थी। उस दिन उन्हें बताया गया कि कॉलेज माइनॉरिटी स्टेटस घोषित हो गया है, इस कारण उनका एडमिशन निरस्त किया जाता है।
संस्थान का दर्जा बदलने से छात्र न हों प्रभावित
-याची का कहना था कि अचानक अल्पसंख्यक कालेज घोषित हो जाने से उनका दाखिला बीटीसी में निरस्त करना गलत है, क्योंकि उनकी कोई गलती नहीं है।
-कहा गया कि पूरी यूपी में ऐसे अधिसंख्य छात्र हैं, जिनका बीटीसी में दाखिला कालेज के माइनॉरिटी स्टेटस की वजह से निरस्त हो जाएगा।
-हाईकोर्ट ने माना कि इसमें छात्रों कि कोई गलती नहीं है।
-कोर्ट ने निर्देश दिया कि अल्पसंख्यक घोषित कालेजों को अल्पसंख्यक का दर्जा अगले सत्र 2016-17 से दिया जाय न कि वर्तमान सत्र 2015-16 से।
-कोर्ट ने कहा कि इससे छात्रों का हित सुरक्षित रहेगा।
-अंतरिम आदेश पारित कर कोर्ट ने सरकार और संबंधित अधिकारियों से इस मामले में 4 सप्ताह में जवाब भी मांगा है।
-इस याचिका पर हाईकोर्ट 24 नवम्बर को सुनवाई करेगा।