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HC: आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट की चयन सूची निरस्त करने से इनकार, याचियों को भी राहत
आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के पदों के लिए जारी की गई सूची को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि जिन अभ्यर्थियों का चयन उक्त सूची में किया गया है, याचीगण ने उनसे पहले डिप्लोमा किया है और सम्बंधित प्रावधानों के मुताबिक चयन में उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी।
लखनऊ: हाईकोर्ट ने आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के पदों पर चयनित अभ्यर्थियों को राहत दे दी है। कोर्ट ने चयन सूची को निरस्त करने से इनकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने चयन सूची को निरस्त करने की मांग करने वाले याचियों को भी राहत दी है।
न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह रिक्त पदों पर याचियों की भर्ती पर विचार करे। यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल की बेंच ने योगेश शर्मा व 33 अन्य समेत सौ से अधिक सेवा सम्बंधी याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद दिया।
याचियों का कहना था कि उन्होंने 1986 से 1993 के बीच आयुर्वेदिक फार्मेसी में डिप्लोमा किया है और उनका बोर्ड ऑफ इंडियन मेडीसिन्स में पंजीकरण 1984 से 1995 के बीच हुआ है। याचियों ने 3 जुलाई 2014 को आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के पदों के लिए जारी की गई सूची को इस आधार पर चुनौती दी कि जिन अभ्यर्थियों का चयन उक्त सूची में किया गया है, याचीगण ने उनसे पहले डिप्लोमा किया है और सम्बंधित प्रावधानों के मुताबिक चयन में उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी।
कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद पाया कि याचियों ने काफी समय बीत जाने के बाद मामले को उठाया है। कोर्ट ने कहा कि याचीगण एक लम्बे समय के बाद जागे, वह भी तब जब उनके समकक्ष इस कोर्ट व सर्वोच्च न्यायालय से राहत पाने में सफल रहे। कोर्ट ने इस आधार पर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
हालांकि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के पद अब भी बड़ी मात्रा में खाली हैं जिन पर याचियों को समायोजित किया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचियों की पूर्ववर्ती प्रैक्टिस के आधार पर उनकी भर्ती के लिए राज्य सरकार विचार कर सकती है।