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हाईकोर्ट ने जेनरेटरों और पटाखों से होने वाले वायु प्रदूषण पर जताई नाराजगी
लखनऊ: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को जेनरेटरों और पटाखों से होने वाले वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के बावत विचार करने का आदेश दिया है। कोर्ट का मानना था कि शादी विवाह के मौके पर या अन्य कामों के लिए जेनरेटरों का जमकर प्रयोग किया जाता है जिससे ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण होता है। इस पर रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने इसके साथ ही नगर निगम को कूड़े के ढेर हटाने के संबंध में कार्यवाही करते रहने का आदेश भी दिया है।
बीते दिनों धुंध के मामले पर हुई सुनवाई
जस्टिस एपी साही और जस्टिस एके श्रीवास्तव की बेंच ने शहर में पिछले दिनों छाए धुंध के मामले में सुनवाई कर रही थी। कुछ याचिकाएं दायर कर मांग की गई थी कि राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह वायु प्रदूषण रोकने के लिए समुचित कदम उठाएं। इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी सुनवाई चल रही है।
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कोर्ट ने दिया था आदेशों के पालन का निर्देश
पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि मुख्य सचिव ने विभिन्न विभागों को वायु प्रदूषण कम करने संबधी कई निर्देश जारी किए हैं। इस पर कोर्ट ने संबंधित विभागों को मुख्य सचिव के निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया था।
कागजी नहीं, जमीनी हकीकत बताएं
गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा गया कि मुख्य सचिव ने सभी विभागों से अपने दिशानिर्देश के पालन के लिए फिर से निर्देश जारी किए हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि कागजी आदेशों के बावत नहीं जानना चाहती है बल्कि वह जानना चाहती है कि जमीनी स्तर पर क्या काम हुआ।
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सरकार ने बनाई कमेटी
राज्य सरकार की ओर से एनजीटी द्वारा आदेश की प्रति पेश की गई। जिसमें कहा गया है कि उसके आदेश के अनुपालन में सरकार ने 15 नवंबर को स्टेट लेवल एक मानीटरिंग कमेटी बना दी है।