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मुआवजे बिन जमीन अधिग्रहण पर HC ने UP पर ठोका एक करोड़ का जुर्माना
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद के लोनी के किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन साल 1973 में अधिग्रहीत कर मुआवजे का भुगतान किए बगैर राजस्व अभिलेखों में कब्जा लेने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने अधिकारियों की मनमानी पर कड़ा रूख अपनाते हुए राज्य सरकार पर एक करोड़ का हर्जाना लगाया है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद के लोनी के किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन साल 1973 में अधिग्रहीत कर मुआवजे का भुगतान किए बगैर राजस्व अभिलेखों में कब्जा लेने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने अधिकारियों की मनमानी पर कड़ा रूख अपनाते हुए राज्य सरकार पर एक करोड़ का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने हर्जाना राशि 15 सितंबर से पहले महानिबंधक के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति तरूण अग्रवाल और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा की बेंच ने सुरेंद्र और अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।
क्या है मामला ?
गौरतलब है कि नूर नगर की 48 एकड़ और 57 एकड़ लोनी सहित 108 एकड़ जमीन साल 1973 मे अधिग्रहीत की गई। जिसे उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम को दे दिया गया।
इसके बावजूद न तो जमीन का मौके पर कब्जा लिया गया और न ही मुआवजा दिया गया। जब किसानों ने जमीन वापसी की मांग की तो कहा गया कि 2013 के एक्ट से अधिग्रहण किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक विकास निगम ने जमीन लेने से इंकार कर दिया तो बिना योजना के जमीन अधिग्रहण का सवाल नहीं उठता।
आगे की स्लाइड में पढ़ें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगी बाढ़ नियंत्रण की योजना
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाढ प्रभावित जिलों के डीएम से बाढ़ पीड़ितों को मुहैया कराई जाने वाली राहत सामग्री की जानकारी को संतोषजनक नहीं माना। कोर्ट ने प्रमुख सचिव राजस्व से हलफनामा मांगा है कि बाढ़ नियंत्रण पर सरकार क्या उपाय करने जा रही है और जिनके मकान गिर गए हैं उन्हें क्या सहायता दिलाई जा रही है। कोर्ट ने वाराणसी, मिर्जापुर, इलाहाबाद के प्राधिकरण और प्राधिकारियों से पूछा है कि बाढ़ में कितने मकान गिरे हैं और कितने लोगों का नुकसान हुआ है। गंगा के डूबे क्षेत्र में कितने मकानों का नक्शा पास किया है यदि बिना नक्शे के निर्माण हुए हैं तो ऐसा किसकी लापरवाही से हुआ है। साथ ही यह भी बताएं कि बेघर हो चुके लोगों के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं। बाढ़ पीड़ितों को कितनी आर्थिक मदद दी गई है। कितने लोगों को मदद पहुंचाना बाकी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की बेंच ने देवकांत वर्मा की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।
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प्रदेश सरकार के स्थायी अधिवक्ता ने सात डीएम (वाराणसी, इलाहाबाद, भदोही, मिर्जापुर, चंदौली, गाजीपुर और बलिया की तरफ से हलफनामा दाखिल कर राहत कार्यां की जानकारी दी। कोर्ट को बताया गया कि बाढ़ पीड़ितों और पशुओं की सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। भारी संख्या में धन की हानि हुई है। लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। शासन की तरफ से बाढ़ पीड़ितों के लिए शिविर लगाये गए। भोजन वितरित किया गया। बाढ़ उतरने के बाद पीड़ित परिवार को बीस किलो आटा, चावल, पंद्रह किलो आलू, 5 पैकेट साबुन, मोमबत्ती, 5 लीटर मिट्टी का तेल और दस किलो दाल दी गई है। बाढ़ क्षेत्र में फॉगिंग और कीटनाशक दवाओें का छिड़काव किया गया है। दवाएं दी गई हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने हवाई जायजा लेकर राहत के फौरी इंतजाम किये हैं।