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पूर्व महाप्रशासक जे. नागर की गिरफ्तारी पर HC ने लगाई रोक, 4.5 करोड़ रुपए गबन का है आरोप
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के पूर्व महाप्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर जनरल) और राज्य न्यासी वरिष्ठ अधिवक्ता जे नागर को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। नागर के खिलाफ हाईकोर्ट स्थित महाप्रशासक कार्यालय के वरिष्ठ सहायक सतीश कुमार श्रीवास्तव ने कैंट थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें सरकारी धन का गबन करने तथा सरकारी दस्तावेज अवैध रूप से अपने कब्जे में रखने तथा पद खाली कर पूरा चार्ज न सौंपने का आरोप लगाया है।
कोर्ट ने वरिष्ठ सहायक सतीश कुमार श्रीवास्तव को भी नोटिस जारी की है। साथ ही राज्य सरकार से याचिका पर छह हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रमनाथ तथा न्यायमूर्ति केपी सिंह की खंडपीठ ने जे नागर की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता रविकांत व प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोद कांत ने पक्ष रखा।
गबन के आरोप को बताया निराधार
याची अधिवक्ता का कहना था कि जोगेन्दर सिंह की संपत्ति की बिक्री राशि साढ़े चार करोड़ महाप्रशासक के खाते में जमा है। इसलिए गबन का आरोप निराधार है। रही बात कार्यालय के लॉकर की चाबी न सौंपने तथा दस्तावेज अपने कब्जे में रखने की यह आरोप भी निराधार है। बिना तथ्यों की जांच कराये अपर विधि परामर्शी के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज करायी गई है।
तथ्यों का सत्यापन किए बिना दर्ज हुई प्राथमिकी
कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता से कहा कि अपर विधि परामर्शी बंद लॉकर व रैक को कानून के तहत खुलवा कर देख सकती थी। यदि कोई चाबी नहीं देता और चार्ज नहीं सौंपता तो क्या अधिकारी कार्यालय को अपने कब्जे में नहीं ले सकता। बिना तथ्यों का सत्यापन किए प्राथमिकी दर्ज करा दी गई। कोर्ट ने विवेचना जारी रखने तथा याची को सहयोग देने का भी निर्देश दिया है।