TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

HC ने कहा- कलेवा में बाइक मांगना दहेज नहीं, 27 साल बाद आरोपी पति को किया बरी

aman
By aman
Published on: 24 Oct 2016 9:31 PM IST
HC ने कहा- कलेवा में बाइक मांगना दहेज नहीं, 27 साल बाद आरोपी पति को किया बरी
X

लखनऊ: एक अहम फैसले में दहेज हत्या के केस में सजायाफ्ता पति को सत्ताइस साल बाद हाई कोर्ट ने बरी करते हुए शादी के दौरान कलेवा रस्म में मोटरसाइकिल या टीवी मांगने को दहेज की श्रेणी में मानने से इंकार कर दिया है।

क्या कहा कोर्ट ने?

कोर्ट ने कहा, कि 'कलेवा हिन्दू धर्म में एक व्यापक प्रथा है कि जो लगभग सारे देश में प्रचलित है। इस दौरान दूल्ला एक निश्चित जगह पर बैठाया जाता है जहां उससे वधू पक्ष कुछ मांगने को कहता है जिस पर दूल्हा अपनी इच्छा प्रकट करता है। ऐसे में यदि दूल्हा मोटर साइकिल या टेलीविजन लेने की इच्छा प्रकट करता है तो वह दहेज की परिभाषा में नहीं माना जाएगा। जब तक कि दूल्हा उस मांग को विवाह के बाद भी नहीं दोहराता रहता। कोर्ट ने पाया कि दूल्हे पर आरोप था कि उसने कलेवा में मोटरसाइकिल और टीवी मांगा परंतु इस बात के प्रमाण नहीं थे कि उसने बाद में भी अपनी मांग के लिए पत्नी को प्रताड़ित किया।

कोर्ट ने पति को निर्दोष करार दिया

इसके साथ ही कोर्ट ने कुछ धंधा शुरू करने के लिए सास द्वारा पति के लिए उसके ससुराल वालों से पंद्रह हजार रुपए की मांग रखने को भी दहेज मांगने की श्रेणी में नहीं पाया। सारी परिस्थितियों का आकलन करने के बाद कोर्ट ने पति की अपील स्वीकार करते हुए उसको निर्दोष करार दिया।

विचारण कोर्ट ने सास और ससुर को भी दहेज हत्या के लिए सजा सुनाई थी। लेकिन मुकदमे के विचाराधीन रहने के दौरान ही दोनों की मौत हो चुकी है।

क्या था मामला?

मामला उन्नाव के थाना कोतवाली का है। राजेंद्र प्रसाद ने अपनी बेटी की शादी 13 जून 1987 को राम शंकर के साथ की थी। 30 मई 1989 को जलने के कारण पत्नी की मौत हो गई जिसकी सूचना ससुर महावीर ने थाने में दी। उन्होंने बताया कि चाय बनाते समय स्टोव से आग लग जाने के कारण पीडि़ता की मौत हो गई। सूचना मिलने पर पीडि़ता के मायके वाले भी आ गए थे। घटना की प्राथमिकी एक माह बाद 1 जून 1989 को राजेंद्र प्रसाद ने लिखायी। प्राथमिकी में आरेाप लगाया गया कि मृतका के ससुराल वाले दहेज में मोटरसाइकिल और टीवी मांगते थे। फिर यह भी आरोप लगाया गया कि सास विद्यावती पंद्रह हजार रुपए मांगती थी कि जिससे लड़के को कुछ धंधा शुरू कराया जा सके।

अपील के दौरान हुई सास-ससुर की मौत

विचारण के बाद अपर सत्र न्यायाधीश उन्नाव ने 30 सितंबर 1992 को पति रमा शंकर ससुर महावीर व सास विद्यावती को दस-दस साल की सजा सुना दी। जिसके खिलाफ तीनों ने हाईकोर्ट में अपील की। इस दौरान तीनों की बेल हो गई थी। अपील के विचाराधीन रहने के दौरान सास और ससुर की मौत हो गई। पति की ओर से बहस सुनने के बाद कोर्ट ने उसे निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया।



\
aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story