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हाईकोर्ट ने दिया अहम फैसला- आधार कार्ड नाम पते और जन्मतिथि के लिए निर्णायक सबूत नहीं
एक अहम फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड़पीठ ने कहा है कि आधार कार्ड नाम,लिंग, पते या जन्मतिथि के बावत निर्णायक सबूत नहीं है और यदि आधार कार्ड में दी गयी इन सूचनाओं के बावत किसी विवेचना के दौरान कोई सवाल खड़ा होता है तो आधार कार्ड का प्रयोग करने वाले को उन दस्तावेजों केा पेश करना होगा जिनके आधार पर आधार कार्ड में दिये गये विवरण दर्ज कराये गये थे।
लखनऊ: एक अहम फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड़पीठ ने कहा है कि आधार कार्ड नाम,लिंग, पते या जन्मतिथि के बावत निर्णायक सबूत नहीं है और यदि आधार कार्ड में दी गयी इन सूचनाओं के बावत किसी विवेचना के दौरान कोई सवाल खड़ा होता है तो आधार कार्ड का प्रयोग करने वाले को उन दस्तावेजों केा पेश करना होगा जिनके आधार पर आधार कार्ड में दिये गये विवरण दर्ज कराये गये थे।
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कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड में जो विवरण दर्ज हेाते हैं वे आवेदनकर्ता के बताये के अनुसार होते हैं तो ऐसे में आधार कार्ड केवल किसी व्यक्ति के फोटोग्राफ, फिंगर प्रिंट व आंखों की पुतली का उसके आधार नंबर से जुड़े होने का ही निर्णायक सबूत होता है।
यह फैसला जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस राजीव सिंह की बेंच ने श्रीमती पार्वती कुमारी व अन्य की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया।
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याचिकाकर्ताओं ने बहराइच के सुजौली थाने पर दर्ज करायी एक प्राथमिकी को रद करने की मांग की थी। दरअसल एक मां ने थाने पर प्राथमिकी दर्ज कराकर कहा था कि उसकी बेटी का अमुक ने अपहरण कर लिया है। बेटी ने उस व्यक्ति के साथ मिलकर कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि वह बालिग है और उसने उस व्यक्ति से विवाह कर लिया है जिससे नाखुश उनकी मां ने उसके पति व पति के परिवार वालों के खिलाफ उसके अपहरण की फर्जी रिपेार्ट लिखा दी है। अपनी आयु के समर्थन में बेटी ने अपनी व अपने पति का आधार कार्ड याचिका के साथ पेश किया। आधार कार्ड में बेटी की जन्मतिथि 1 जनवरी 1999 तो वहीं पति की जन्मतिथि 1 जनवरी 1997 दर्ज थी। बेटी के अपहरण न होने के बयान पर कोर्ट ने उसकी व पति की गिरफतारी पर रोक लगाने का आदेश दे दिया था जिसके बाद पुलिस ने विवेचना करके केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी।
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दूसरी ओर कोर्ट ने इस प्रकार आधार कार्डों में अक्सर जन्मतिथि के स्थान पर 1 जनवरी की तिथि लिखी होने पर संज्ञान लेते हुए यूनीक आईडेंडिफिकेशन अथारिटी आफ इंडिया के लखनउ स्थित क्षेत्रीय आफिस के डिप्टी डायरेक्टर जास्मीन को तलब किया। उन्होंने कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि आधार कार्ड में किसी विवरण को दर्ज करते समय उस व्यक्ति से उसके विवरणों के संबध में किसी दस्तावेज को पेश करने का कहा जाता है। कभी कभी कई लोग दलील देते हैं कि उनके पास अपने विवरणों को दर्शाने के लिए और काई दूसरा दस्तावेज नहीं है तो उस व्यक्ति के बताये के अनुसार उसकी जन्मतिथि व अन्य विवरण दर्ज कर लिये जाते है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड केवल इस बात का सबूत है कि अमुक व्यक्ति जो कि किसी सरकारी योजना का लाभ लेना चाहता है वह वही व्यक्ति है जिसने अपना बायोमेट्रिक दिया है और जिसे अमुक आधार नंबर आवंटित किया गया है।