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HC: हटाये गये अधिकारी को जांच फिर सौंपने का आदेश, राज्य मंत्री के दबाव का था आरोप

याची ने फाइनल रिपोर्ट की शिकायत डीआईजी से की तो जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गयी तो मंत्री ने विवेचनाधिकारी पर दबाव बनाया न मानने पर उसका पुलिस लाइन तबादला कर दिया गया।

zafar
Published on: 22 May 2017 6:36 PM GMT
HC: हटाये गये अधिकारी को जांच फिर सौंपने का आदेश, राज्य मंत्री के दबाव का था आरोप
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इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने रामपुर में दर्ज धोखाधड़ी कूटरचना के मामले की विवेचना क्षेत्राधिकारी को सौंप दी है और कहा है कि विवेचनाधिकारी राजेन्द्र प्रसाद को राज्यमंत्री के दबाव में पुलिस लाइन में भेजने का आदेश वापस लेते हुए क्राइम ब्रांच में लाया जाए। याचिका में प्रदेश सरकार के सिंचाई एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख पर विवेचनाधिकारी को अन्तिम रिपोर्ट दाखिल करने का आरोप लगाया गया है।

दबाव का आरोप

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खण्डपीठ ने निपेन्द्र सिंह की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता का कहना था कि याची की शादी रमनदीप कौर से हुई। याची ने अपनी पत्नी के नाम हारवेस्टर मशीन खरीदी। जिसे साले उठा ले गये। पत्नी भी मायके चली गयी और फर्जी स्टैम्प पर मशीन बेचने का आरोप लगाते हुए याची ने अपनी पत्नी व सालों के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचना की प्राथमिकी दर्ज करायी तो पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी।

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पत्नी की तरफ से दहेज उत्पीड़न की भी पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। याची ने फाइनल रिपोर्ट की शिकायत डीआईजी से की तो जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गयी तो मंत्री ने विवेचनाधिकारी पर दबाव बनाया न मानने पर उसका पुलिस लाइन तबादला कर दिया गया।

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मुख्य सचिव व मंत्री की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया। एसपी भी कोर्ट में हाजिर थे। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रकरण मुख्य मंत्री के संज्ञान में लाया गया है। मंत्री ने कहा जनप्रतिनिधि हैं विवेचना में दबाव नहीं डाला।

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