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हाईकोर्ट: अनुदानपूर्व शिक्षण सेवाओं पर पेंशन देने का फैसला रद्द, विचार के लिए वापस

एकल न्यायपीठ ने याचीगण को ब्याज सहित प्रबंधकीय अंशदान जमा करने की शर्त पर ग्रांट इन एड से पूर्व की गयी सेवाओं को पेंशन लाभ में जोड़ने का आदेश दिया था। लेकिन खण्डपीठ ने इस आदेश को रद्द कर मामला पुनः विचार के लिए एकल न्यायपीठ को भेज दिया।

zafar
Published on: 3 Oct 2016 8:00 PM IST
हाईकोर्ट: अनुदानपूर्व शिक्षण सेवाओं पर पेंशन देने का फैसला रद्द, विचार के लिए वापस
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इलाहाबाद: हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि विद्यालय के अनुदान पर आने से पूर्व की गयी सेवाओं का पेंशन में लाभ नहीं मिलेगा। खण्डपीठ ने इस संबंध में एकल न्यायपीठ द्वारा दिए आदेश को रद्द करते हुए टीचरों के मामले पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने एकल न्यायपीठ के निर्णय को विशेष अपील दाखिल कर चुनौती दी थी।

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अनुदान पूर्व की पेंशन नहीं

-अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने सुनवाई की।

-स्थायी अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय ने हाईकोर्ट द्वारा पारित बुद्धिराम केस की नजीर पेश करते हुए कहा कि एकल पीठ ने आदेश जारी करने में भूल की है।

-सिविल सर्विसेज रेग्युलेशन के पैरा 474 में कहा गया है कि 10 वर्ष की मौलिक सेवा करने वाले कर्मचारी को ही पेंशन का लाभ मिलेगा।

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-मौलिक सेवा उसे कहें जहां नियुक्ति मौलिक रूप से हुई हो।

-मौलिक नियुक्ति के लिए विद्यालय का ग्रांट इन एड (वित्तीय सहायता प्राप्त) होना आवश्यक है।

-गैर वित्तीय सहायता प्राप्त अवधि में की गयी सेवा को पेंशन के लिए नहीं जोड़ा जा सकता क्योंकि इससे पूर्व की सेवा मौलिक नहीं मानी जाएगी।

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पेंशन के लिए याचिका

-उल्लेखनीय है कि फिरोजाबाद के आदर्श जनता विद्यालय जूनियर हाईस्कूल के दो शिक्षकों ने पेंशन की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

-उनका कहना था कि विद्यालय के ग्रांट प्राप्त करने के पूर्व की सेवाएं भी पेंशन का लाभ देने के लिए जोड़ी जाएं।

-कहा गया कि 2002 में शासनादेश जारी किया गया कि जो शिक्षक प्रबंधकीय अंशदान जमा कर रहे हैं उनकी ग्रांट इन एड से पूर्व की सेवाएं भी जोड़ी जाएंगी।

-एकल न्यायपीठ ने याचीगण को ब्याज सहित प्रबंधकीय अंशदान जमा करने की शर्त पर ग्रांट इन एड से पूर्व की गयी सेवाओं को पेंशन लाभ में जोड़ने का आदेश दिया था।

-खण्डपीठ ने इस आदेश को रद्द कर मामला पुनः विचार के लिए एकल न्यायपीठ को भेज दिया।

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यमुना एक्सप्रेस वे-अतिरिक्त मुआवजे पर बहस जारी

-एक अन्य मामले में, यमुना एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत भूमि का किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने के मामले में कोर्ट में बहस जारी है।

-जेपी इन्फ्राटेक प्रा.लि. कंपनी की इस याचिका की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति के.जे.ठाकुर की खंडपीठ कर रही है।

-कंपनी और सरकार के बीच हुए करार के तहत कंपनी ने किसानों को मुआवजे का भुगतान कर दिया और आगरा से ग्रेटर नोएडा तक 165 किमी सड़क का निर्माण किया गया।

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-हाईकोर्ट ने गजराज सिंह केस में किसानों को अतिरिक्त मुआवजे के भुगतान का फैसला दिया। जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने भी कर दी है।

-इसके तहत मुआवजे का भुगतान ले चुके भू स्वामियों को 64 फीसदी बढ़ा हुआ मुआवजा देने के लिए यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी ने कंपनी को 2500 करोड़ रुपए की डिमांड नोटिस जारी की है।

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-मामले में प्राधिकरण की डिमांड नोटिस को जेपी इन्फ्राटेक प्रा.लि. कंपनी ने एक याचिका दायर कर के चुनौती दी है।

-प्राधिकरण की डिमांड नोटिस की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर बहस जारी है। अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।



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