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अतीक अहमद मामले में HC का हस्तक्षेप से इंकार, कहा- लगातार अपराध में लिप्त रहने वाले को नहीं मिले जमानत
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद अतीक अहमद को नैनी सेंट्रल जेल से देवरिया जिला जेल भेजे जाने के मामले में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। कहा, कि याची के किसी कानूनी अधिकार का हनन हो रहा हो, तो वह सक्षम न्यायालय में अर्जी दाखिल कर सकता है। फिलहाल कोर्ट ने कोई राहत न देते हुए अतीक की अर्जी पर 7 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया है।
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बता दें कि 7 अप्रैल ही वह तारीख जिसमें शुआट्स हमला मामले में अतीक के खिलाफ सुनवाई होनी है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने दिया।
कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इंकार
याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि शुआट्स हमले की मानीटरिंग कोर्ट द्वारा की जा रही है। ऐसे में आरोपी का दूसरे जेल भेजा जाना कोर्ट कार्यवाही में व्यवधान डालना है। कोर्ट पूर्व सांसद के तबादले को रोके किन्तु कोर्ट ने कोई वैध आधार न पाते हुए हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला
कोर्ट ने टिप्पणी की, कि सुप्रीम कोर्ट ने लगातार अपराध करने वालों को जमानत देने पर अपने फैसले में तीखी प्रतिक्रिया दी है। एक अपराध के बाद दूसरा अपराध करने वाले की जमानत होने के कारण अपराध को बढ़ावा मिलता है। यदि कोर्ट ऐसे अपराधी की जमानत नहीं देती है तो वह कुछ जिंदगियां बचा लेती है।
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लगातार अपराध में लिप्त रहने वाले...
याची अधिवक्ता का कहना था कि जमानती अपराध में भी कोर्ट की टिप्पणी के चलते जमानत अर्जी निरस्त हो गई। हालांकि, कोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार ने अतीक के खिलाफ हत्या मामले में जमानत निरस्त करने की कार्यवाही कर रही है। कोर्ट का मानना है कि लगातार अपराध में लिप्त रहने वाले की जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
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