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हाईकोर्ट का फैसला, आपराधिक केस छिपाकर नहीं बन सकते दरोगा

हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि कोई भी अभ्यर्थी फार्म भरते समय मुकदमा दर्ज होने की बात को फार्म में छिपाता है तो वह सिपाही अथवा दरोगा नहीं बन सकेगा। कोर्ट ने यूपी सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। एकल जज के आदेश को सरकार ने विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी।

priyankajoshi
Published on: 25 Oct 2016 9:28 PM IST
हाईकोर्ट का फैसला, आपराधिक केस छिपाकर नहीं बन सकते दरोगा
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इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि कोई भी अभ्यर्थी फार्म भरते समय मुकदमा दर्ज होने की बात को फार्म में छिपाता है तो वह दरोगा नहीं बन सकेगा। कोर्ट ने यूपी सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। एकल जज के आदेश को सरकार ने विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी।

-एकल जज ने याची राजीव कुमार की याचिका पर आदेश दिया था कि पुलिस भर्ती बोर्ड सिपाही के पद पर उसे ट्रेनिंग पर भेजें।

-उसकी नियुक्ति उसके विरूद्ध चल रहे आपराधिक मुकदमे के निर्णय के अधीन होगा।

-इस आदेश को यूपी सरकार के पुलिस विभाग ने दो जजों के समक्ष विशेष अपील में चुनौती दी थी। -सरकार के वकील रामानंद पांडेय का तर्क था कि याची ने 2013 की सिपाही में आवेदन किया।

-आवेदन फार्म भरते समय उसने जानबूझकर इस तथ्य को छिपाया कि उसके खिलाफ कोई क्रिमिनल केस दर्ज नही है |

-चयन प्रक्रिया में फार्म को सहीं मानते हुए उसे शामिल किया गया और उसका चयन भी हो गया। -सेलेक्शन के बाद चरित्र सत्यापन में यह बात सामने ऊभर कर आई कि याची के खिलाफ पुलिस पार्टी पर हमला करने का मुकदमा बिहार के गया जिले मे दर्ज है और उस केस में आरोप पत्र भी दाखिल है।

-लेकिन याची ने किसी भी स्तर पर इन सब तथ्यों का जानबूझकर खुलासा नहीं किया ताकि उसकी पुलिस मे भर्ती हो जाए।

-दो जजों की पीठ ने सरकार की अपील को मंजूर कर लिया है तथा एकल जज के आदेश को रद्द कर दिया।

-कोर्ट ने कहा कि याची ने न केवल तथ्य को छिपाया बल्कि झूठ भी बोला।

-ऐसे मे मुकदमा दर्ज होने का तथ्य छिपाकर आवेदन करने वालों को सिपाही अथवा दरोगा पद पर नियुक्ति नही दी जा सकती।



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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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