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हाईकोर्ट ने कहा-दागी दुकानदार के परिवार वालों को नहीं दिया जा सकता सरकारी राशन की दुकान
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि किसी के पति या पत्नी के सरकारी राशन की दुकान का लाइसेंस अनियमितता की शिकायत पर निरस्त हुआ है और प्राथमिकी दर्ज है तो ऐसे लाइसेंसी के परिवार के किसी सदस्य को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि अनियमितता की शिकायत पर लाइसेंस निरस्त होने के खिलाफ अपील लंबित है तो अधिकारियों को यह अधिकार है कि वह अस्थायी रूप से उस राशन की दुकान को दूसरे दुकान से संबद्ध कर दे।
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि किसी के पति या पत्नी के सरकारी राशन की दुकान का लाइसेंस अनियमितता की शिकायत पर निरस्त हुआ है और प्राथमिकी दर्ज है तो ऐसे परिवार के किसी सदस्य को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि अनियमितता की शिकायत पर लाइसेंस निरस्त होने के खिलाफ अपील लंबित है तो अधिकारियों को यह अधिकार है कि वह अस्थायी रूप से उस राशन की दुकान को दूसरे दुकान से संबद्ध कर दे।
यह आदेश न्यायमूर्ति वी.के.शुक्ला और न्यायमूर्ति एम.सी.त्रिपाठी की खण्डपीठ ने मान्धाता राय की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सस्ते गल्ले की दुकान केवल व्यवसाय चलाने का अधिकार नहीं है बल्कि संविधान प्रदत्त लोक वितरण प्रणाली का हिस्सा है। दुकान देने में भाई भतीजावाद और पक्षपात नहीं किया जा सकता।
याची का कहना था कि मालती देवी की दुकान का लाइसेंस अनियमितता के आरोप में निरस्त कर दिया गया। इसके खिलाफ अपील लंबित है। इसी बीच गांव सभा ने प्रस्ताव पासकर पूर्व दुकानदार के पति के नाम दुकान देने का निर्णय लिया। जिसे स्वीकार कर एसडीएम ने लाइसेंस दे दिया। एसडीएम के इस आदेश को याचिका में चुनौती दी गई थी।