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कोरोना वायरस पर हाईकोर्ट सख्त, निचली अदालतों में नियमित सुनवाई स्थगित

कोरोना वायरस से निपटने के उपायों पर सुझाव के लिए सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने न्यायमूर्ति बी के नारायण की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित कर दी है। समिति में न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी, बार एसोसिएशन व एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सदस्य है। जो इस मामले की मानीटरिंग कर रही है।

राम केवी
Published on: 16 March 2020 2:36 PM GMT
कोरोना वायरस पर हाईकोर्ट सख्त, निचली अदालतों में नियमित सुनवाई स्थगित
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इलाहाबादः कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर एहतियात बरता जा रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी कोरोना को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट परिसर में थर्मल स्कैनिंग और साफ सफाई के विशेष इंतजाम करने का राज्य सरकार को आदेश दिया था, जिसके तहत ही होली की छुट्टियों के बाद खुले हाईकोर्ट में कोरोना को लेकर प्रवेश गेटों पर थर्मल स्कैनिंग शुरु कर दी गई है।

कोरोना वायरस से निपटने के उपायों पर सुझाव के लिए सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने न्यायमूर्ति बी के नारायण की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित कर दी है। समिति में न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी, बार एसोसिएशन व एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सदस्य है। जो इस मामले की मानीटरिंग कर रही है।

समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। जिसे मुख्य न्यायाधीश के अनुमोदन के लिए भेजा गया है। इसके साथ ही तय किया गया है कि आवश्यक मुकदमों व नये केसों की ही सुनवाई की जाए। 2019-20 की जमानत अर्जी, गैर जमानती वारंट के मामले की सुनवाई होगी। वादकारियों के प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाए। सुरक्षा जांच के बाद प्रवेश की अनुमति होगी।

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हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने सभी जिला जजों/उच्च न्यायालय के अधीन ओएसडी को कोविड-19 की चुनौती के मुकाबले के लिए निरोधात्मक एवं उपरात्मक प्रबंध करने को कहा है।

अदालत ने जिला जजों को सीएमओ/सीएमएस व दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से अदालत के परिसर में आने वाले लोगों की थर्मल स्केनिंग सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही अदालत परिसर की पूर्ण सफाई और सेनिटाइजेशन सुनिश्चित करने को कहा है।

सिर्फ अर्जेंट मामलों की ही सुनवाई

अदालत ने कहा है कि 21 मार्च तक जिला एवं सत्र न्यायालयों के जिला जजों द्वारा, मजिस्ट्रेटी अदालतों के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों द्वारा और सिविल कोर्ट के सिविल जजों (एसडी/जेडी) द्वारा केवल अर्जेंट मामलों की ही सुनवाई की जाएगी।

हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालतों का नियमित कार्य 21 मार्च तक स्थगित रहेगा। यदि जिला जजों को यह लगता है कि अर्जेंट मामले में किसी दूसरे प्रेसाइडिंग अफसर की सेवाओं की आवश्यकता है तो वह किसी सबसे वरिष्ठ एडीजे/मजिस्ट्रेट को असाइन करेंगे।

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अदालत ने कहा कि अर्जेंट मामलों के अलावा कामर्शियल कोर्ट, एमएसीटी, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्नियोजन प्राधिकरणों में भी कार्य स्थगित रहेगा।

हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पत्र मे यह भी उल्लेख किया गया है कि वकील अथवा व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में अपने केस में बहस के लिए किसी वादकारी की अनुपस्थिति के चलते कोर्ट उस केस में कोई प्रतिकूल आदेश नहीं करेगी। हाथ मिलाकर आपस में एक दूसरे का अभिनन्दन करने पर कोर्ट परिसर में मना किया गया है।

राम केवी

राम केवी

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