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कुंभ मेला : हरे पेड़ों की कटान पर इन अफसरों से हाई कोर्ट ने मांगा है जवाब
कुम्भ के दौरान शहर में सड़क चौड़ीकरण में काटे गए पेड़ों के बदले नए पेड़ न लगाने और सड़कों पर डिवाइडर में रखरखाव बगैर सूखे पेड़ लगाने की जांच कराए जाने, भूजल स्तर बढ़ाने के लिए रेवेन्यू रिकार्ड में दर्ज तालाबों को बहाल किये जाने व फलदार ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने जवाब मांगा है।
प्रयागराज। कुम्भ के दौरान शहर में सड़क चौड़ीकरण में काटे गए पेड़ों के बदले नए पेड़ न लगाने और सड़कों पर डिवाइडर में रखरखाव बगैर सूखे पेड़ लगाने की जांच कराए जाने, भूजल स्तर बढ़ाने के लिए रेवेन्यू रिकार्ड में दर्ज तालाबों को बहाल किये जाने व फलदार ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने जवाब मांगा है।
हाई कोर्ट ने शहरी विकास, ग्रामीण विकास व वन एवं जीव संरक्षण विभाग के प्रमुख सचिवों, डीएम प्रयागराज व पीडीए उपाध्यक्ष से इस पर जवाब तलब किया है।
वातावरण जहरीला हो रहा है
सुनीता शर्मा की ओर से यह याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने यह जानकारी देते हुए बताया कि याचिका में कहा गया है कि पर्टिकुलेट मैटर पॉल्यूशन, कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण वातावरण जहरीला हो रहा है। ऑक्सीजन देने वाले व फलदार पौधे लगाकर इसपर लगाम लगाई जा सकती है।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग व तालाबों की बहाली हो
इसके अलावा रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ रेवेन्यू रिकार्ड में दर्ज तालाबों को बहाल करके भूजल स्तर बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए याचिका में जनपद के तालाबों की सूची भी संलग्न की गई है। उन्होंने बताया कि याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई की तारीख लगाई गई है।
नोएडा , जेवर एयरपोर्ट के लिए हुए भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजे की मांग के लिए लगभग 250 किसान पहुँचे हाईकोर्ट
नोएडा के पास जेवर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए हुए भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजे की मांग के लिए लगभग ढाई सौ किसान मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे।
जेवर एयरपोर्ट किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष अजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में दो बसों में भरकर व ट्रेन से आए छह गावों के प्रधानों व किसानों ने हाई कोर्ट में लंबित याचिका में पक्षकार बनने के लिए फोटोयुक्त हलफनामा कराया।
इस भूमि अधिग्रहण में किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग में दाखिल याचिका पर मई के अंतिम सप्ताह में कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था। याचिका पर अगली सुनवाई के लिए पांच अगस्त की तारीख लगी है।
किसानों के साथ अन्याय कर रही है सरकार
अजय प्रताप सिंह ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण व राज्य सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है। उनका कहना है कि उनके गांवों को शहरी क्षेत्र में शामिल कर लिया गया लेकिन जमीन का मुआवजा ग्रामीण क्षेत्र के आधार पर 1806 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से दिया जा रहा है। जबकि शहरी क्षेत्र में सर्किल रेट 3650 से लेकर 5200 रुपये प्रति वर्गमीटर तक है।
नौ हजार किसान प्रभावित
उन्होंने बताया कि हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण के पहले चरण में छह गावों के नौ हजार किसान प्रभावित हो रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें कम से कम 3650 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजा मिलना चाहिए।
यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी द्वारा अधिग्रहित भूमि पर यथा स्थिति बनाए रखने का निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के आछे पुर गांव की यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी द्वारा अधिगृहीत भूमि की यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया है और अथारिटी सहित राज्य सरकार से याचिका पर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति वी. के. नारायण तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने मल्ली देवी व 3 अन्य की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता प्रेम कुमार चौरसिया का कहना है कि 26 फरवरी 09 को याची की भूमि अधिगृहीत की गयी। 19फरवरी 10 को धारा 6 का प्रकाशन किया गया। दो साल बाद अवार्ड दिया गया। किन्तु जमीन पर भौतिक कब्जा नही लिया गया।
तो अधिग्रहण समाप्त हो जाएगा
धारा 11(9) के तहत यदि अधिग्रहण के दो साल के भीतर अवार्ड नही घोषित होता तो अधिग्रहण स्वतः समाप्त हो जायेगा। याची का कहना है कि जमीन पर उसका कब्जा है और उसने कोई मुआवजा नहीं लिया है। अवार्ड दो साल बीत जाने के बाद आया है। ऐसे में अधिग्रहण स्वतः निरस्त समझा जाये। कोर्ट ने याची के तर्कों को विचारणीय माना और 22 अगस्त तक जवाब मांगा है।
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव याचिका पर आज को होगी सुनवाई
प्रयागराज। वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव की वैधता के खिलाफ दाखिल तेज बहादुर की चुनाव याचिका की सुनवाई 17 जुलाई को होगी। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति एम. के. गुप्ता करेंगे। सीआरपीएफ के पूर्व सिपाही तेज बहादुर यादव ने अपने नामांकन पत्र को नियम विरुद्ध खारिज करने को आधार बनाया है। कहा गया है कि उनका नामांकन दबाव वश प्रशासन ने गलत आधार पर खारिज की।