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HC: यूनानी मेडिकल ऑफिसर पद के इंटरव्यू से पहले जारी हो योग्य प्रतिभागियों की सूची

हाई कोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयेाग को मेडिकल ऑफिसर यूनानी के 2 फरवरी को होने वाले इंटरव्यू के लिए योग्य प्रतिभागियों की सूची पब्लिश करने का निर्देश दिया है।

tiwarishalini
Published on: 31 Jan 2017 8:17 PM IST
HC: यूनानी मेडिकल ऑफिसर पद के इंटरव्यू से पहले जारी हो योग्य प्रतिभागियों की सूची
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प्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ: हाई कोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयेाग को मेडिकल ऑफिसर यूनानी के 2 फरवरी को होने वाले इंटरव्यू के लिए योग्य प्रतिभागियों की सूची पब्लिश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि 16 जनवरी 2017 को जारी नोटिफिकेशन के अनुक्रम में 67 प्रतिशत या इससे अधिक अंक पाए कंडीडेट्स की योग्यता सूची को इंटरव्यू से पहले जारी किया जाए।

यह आदेश जस्टिस एस एन शुक्ला और जस्टिस शिव कुमार सिंह प्रथम की बेंच ने सुहैब मोहम्मद जोएब की ओर से दायर सेवा याचिका पर पारित किया।

याची का कहना था कि 2 फरवरी को मेडिकल ऑफिसर यूनानी के लिए इंटरव्यू होने जा रहे हैं। जिसमें जनरल कैंडिडेट्स के लिए कट ऑफ 64.26 प्रतिशत है। याची का कहना था कि उसके मार्क्स 72 प्रतिशत हैं फिर भी उसे इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि इंटरव्यू की तारीख तय कर दी गई है, लेकिन कट ऑफ दिखाते हुए इंटरव्यू के लिए चयन सूची अब तक नहीं जारी की गई है।

अगली स्लाइड में पढ़ें ट्रांसपोर्ट विभाग की मिनी बसों पर हर साल तय किया जाए एडमिनिस्ट्रेशन एवं ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बढ़ोत्तरी का प्रतिशत

ट्रांसपोर्ट विभाग की मिनी बसों पर हर साल तय किया जाए एडमिनिस्ट्रेशन एवं ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बढ़ोत्तरी का प्रतिशत

लखनऊ: हाई कोर्ट ने ट्रांसपोर्ट विभाग की मिनी बसों से प्रतिमाह आठ हजार रुपए बतौर एडमिनिस्ट्रेशन एवं ट्रांसपोर्टेशन चार्ज पर प्रति वर्ष सात प्रतिशत की बढ़ोत्तरी संबंधी आदेश को रद कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी ने आठ हजार रुपए प्रतिमाह एडमिनिस्ट्रेशन एवं ट्रांसपोर्टेशन चार्ज तो ठीक लगाया है, लेकिन उस पर हर साल सात प्रतिशत की बढ़ोत्तरी नियमों के विपरीत है।

यह आदेश जस्टिस एस एन शुक्ला और जस्टिस एस के सिंह प्रथम की बेंचने सुबोध राना और 46 अन्य की ओर से दायर याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए पारित किया।

याची ने 19 नवंबर 2014 के ट्रासंपेार्ट विभाग के आदेश को चुनौती दी थी। इसमें मिनी बसों से हर महीने आठ हजार रुपए एडमिनिस्ट्रेशन एवं ट्रांसपोर्टेशन चार्ज के रूप में लेने की बात कही गई थी। इसके साथ ही हर साल इस पर प्रतिवर्ष सात प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का भी प्रावधान किया था।

कोर्ट ने विभाग के रिकॉर्ड को देखकर पाया कि सक्षम प्राधिकारी ने सड़क की दशा, रास्ते की लंबाई और प्रति किमी यात्रा पर आने वाले खर्च के मद्देनजर आठ हजार रुपए प्रतिमाह तय किया था जो कि उचित है लेकिन उक्त राशि पर प्रतिवर्ष सात प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के निर्णय को सही नही पाया।

कोर्ट ने कहा कि बढ़ोत्तरी कितने प्रतिशत हो यह प्रतिवर्ष समस्त फैक्टरो को देखकर तय किया जाए।

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tiwarishalini

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