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हाईकोर्ट का फैसला: शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक नहीं

यह फैसला न्यायमूर्ति एस.के. गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पी.के. श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रयागराज के अर्पित गर्ग व आयुषी जायसवाल के बीच तलाक से इंकार करने के परिवार न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील को खारिज करते हुए दिया है। दोनों की शादी 9 जुलाई 2018 को हुई।

SK Gautam
Published on: 6 May 2019 9:28 PM IST
हाईकोर्ट का फैसला: शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक नहीं
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकता। धारा13 बी के तहत एक साल के बाद ही सहमति से तलाक हो सकता है।

यह फैसला न्यायमूर्ति एस.के. गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पी.के. श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रयागराज के अर्पित गर्ग व आयुषी जायसवाल के बीच तलाक से इंकार करने के परिवार न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील को खारिज करते हुए दिया है। दोनों की शादी 9 जुलाई 2018 को हुई। 12 अक्टूबर 18 को अलग रहने लगे और 20 दिसम्बर 18 को आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल किया गया।

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परिवार न्यायालय ने तलाक के मुकदमे के लिए निर्धारित एक साल की अवधि से पहले दाखिल मुकदमे को समय पूर्व मानते हुए वापस कर दिया जिसे अपील में चुनौती दी गयी थी। अपीलार्थी का कहना था कि दोनों का एक साथ रहना सम्भव नहीं है। वे अलग रहना चाहते है। इसलिए दोनों ही तलाक के लिए राजी है। एक साल की वैधानिक अड़चन दूर की जाय। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट वैधानिक व्यवस्था को माफ नहीं कर सकती। तलाक के लिए एक साल की अवधि का बीतना बाध्यकारी है।



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SK Gautam

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