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हाईकोर्ट राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति में भारी गड़बड़ी, कई योग्य बाहर

इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत राज्य विधि अधिकारियो में व्यापक फेरबदल किया गया है। कई की पदोन्नति हुई तो कई हटाये गये हैं।भारी संख्या में नई नियुक्तियां भी की गयी है। विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 8 फरवरी को (159 इलाहबाद प्रधानपीठ व् 130 लखनऊखण्डपीठ ) कुल 289 राज्य विधि अधिकारियो की नियुक्ति की है तो (109 इलाहाबाद व् 43 लखनऊ)कुल 151 राज्य विधि अधिकारियो को हटा दिया है।

Aditya Mishra
Published on: 9 Feb 2019 10:50 AM GMT
हाईकोर्ट राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति में भारी गड़बड़ी, कई योग्य बाहर
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत राज्य विधि अधिकारियो में व्यापक फेरबदल किया गया है। कई की पदोन्नति हुई तो कई हटाये गये हैं।भारी संख्या में नई नियुक्तियां भी की गयी है। विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 8 फरवरी को (159 इलाहबाद प्रधानपीठ व् 130 लखनऊखण्डपीठ ) कुल 289 राज्य विधि अधिकारियो की नियुक्ति की है तो (109 इलाहाबाद व् 43 लखनऊ)कुल 151 राज्य विधि अधिकारियो को हटा दिया है।

सरकार बनने के बाद 7 जुलाई 2017 को जारी सूची को चुनौती दी गई। कोर्ट के आदेश पर महाधिवक्ता कीअध्यक्षता में 5 अधिकारियो की कमेटी गठित की गयी। जिसने समीक्षा कर अयोग्य लोगों को सूची से हटाते हुए अक्टूबर 17 में नई सूची जारी की। इसके बाद कई सूचियां जारी हुई। उनपर भी सवाल उठे है। महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को आश्वासन दियाथा कि भविष्य में गलती दोहराई नहीं जायेगी।

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जारी इस सूची में भी कई खामियां दिखाई दे रही है।एक दर्जन ऐसे अधिवक्ताओं को सूची में शामिल किया गया है।जो निर्धारित योग्यता न होने के कारण कार्यभार ग्रहण नही कर सकेंगे। आशंका उठ रही है कि कमेटी ने विचार किये बगैर हड़बड़ी में सूची जारी कर दी गयी है।या विवेक का इस्तेमाल ही नही किया। जो हाई कोर्ट में कभी कभार आते थे, वे न केवल सूची में शामिल है अपितु उन्हें महत्वपूर्ण पद पर तैनाती दी गयी है। और जिन्होंने मजबूती से सरकार का पक्ष कोर्ट में रखा उन्हे हटा दिया गया है।

अनुभवी लोगो को रखने के बजाय कभी कभार हाई कोर्ट आने वालों की सूची में भरमार यही इशारा कर रही है कि कमेटी को विश्वास में लिए बगैर सूची जारी कर दी गयी।कार्य में सुचिता के दावे का मख़ौल उड़ाया गया है। इस जारी सूची से कई सवाल खड़े हो गए हैं । एक तो यह कि क्या सरकार कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर ,कोर्ट की अवमानना नहीं कर रही है।

और दूसरा यह कि योग्य वकीलों को हटाकर सरकार समाज में किस प्रकार का संदेश देना चाहती है। जब न्यायपालिका में नियुक्ति का ये हाल है तो अन्य संस्थाओं में नियुक्ति की शुचिता का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

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Aditya Mishra

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