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दहेज उत्पीड़न के आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक: हाईकोर्ट
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न व मारपीट के आरोपी सत्यम स्वरूप व अन्य की विश्वसनीय साक्ष्य मिलने तक या पुलिस रिपोर्ट पेश होने तक गिरफ्तारी पर बुधवार को रोक लगा दी है। याची के खिलाफ बरेली के इज्जतनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है जिसकी वैधता को चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इंकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति आर.डी.खरे तथा न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की खण्डपीठ ने दिया है। याचिका पर अधिवक्ता शिवम द्विवेदी ने बहस की। याची ने अपनी पत्नी को साथ रखने के लिए धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत मुकदमा कायम किया। इसके बाद पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी है। आरोप मनगढ़ंत व झूठे हैं। याची की मां को भी आरोपी बनाया है। सामान्य आरोप लगाये हैं। दुर्भावनापूर्ण ढंग से दर्ज प्राथमिकी रद्द की जाए।
कोर्ट की अन्य खबरें
कुलसचिव कर्नल हितेश लव की बर्खास्तगी पर कोर्ट का हस्तक्षेप से इंकार
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव कर्नल हितेश लव को पद से हटाये जाने के मामले में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि याची अपना केस अधिकरण के समक्ष उठा सकता है। 20 जून 18 को कार्यकारिणी के प्रस्ताव के तहत कुलपति ने याची को बर्खास्त कर दिया था, जिसे चुनौती दी गयी थी। यह आदेश न्यायमूर्ति बी. अमित स्थालेकर तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खण्डपीठ ने दिया है। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता का कहना था कि याची की नियुक्ति करार के तहत संविदा पर की गयी थी। इसलिए विवाद की स्थिति में याची अधिकरण या आर्बीट्रेशन (पंचाट) में जा सकता है। याची अधिवक्ता शैलेन्द्र का कहना था कि याची कर्मचारी नहीं है जिसे संविदा के अन्तर्गत माना जाए। याची की नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत की गयी है। बिना जांच के नहीं हटाया जा सकता। बर्खास्तगी नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्तों के खिलाफ है। याची को पांच साल के लिए चयन समिति की संस्तुति पर कार्यकारिणी परिषद द्वारा नियुक्त किया गया था। कोर्ट ने कहा कुलसचिव भी विश्वविद्यालय के कर्मचारी है इसलिए सेवा से हटाने के आदेश को अधिकरण में चुनौती दी जा सकती है।
पी.डब्लू.डी. हाउसिंग सोसायटी के सीईओ व सचिव के खिलाफ करोड़ों की वसूली पर रोक
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने पी डब्ल्यू डी सहकारी हाऊसिंग सोसायटी लिमिटेड के सीइओ व सचिव के खिलाफ 18 करोड़ 96 लाख 45 हजार 856 रूपये की वसूली पर रोक लगा दी है और कहा है कि सोसायटी के खिलाफ बकाये की वसूली उसके कर्मचारी से नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा है कि याची से बेटरमेन्ट चार्ज भी न लिया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय तथा न्यायमूर्ति सी डी सिंह की खण्डपीठ ने पी डब्ल्यू डी सहकारी हाऊसिंग सोसायटी व उसके सचिव की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में आवास विकास परिषद कानपूर नगर ने वसूली नोटिस जारी की थी।जिसे चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने सचिव से कहा है कि वह सोसायटी के कार्यो की सूचना उपलब्ध कराए। याची का कहना था कि वह सोसायटी का एक कर्मचारी है।सोसायटी पर बकाये की वसूली सोसायटी या उसके सदस्य से की जा सकती है।याची सदस्य नही है। उसके खिलाफ जारी वसूली नोटिस अवैध है।
देरी से दाखिल याचिका खारिज
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने जन स्वास्थ्य कल्याण समिति हनुमानगंज इलाहाबाद की याचिका काफी विलम्ब से दाखिल करने के आधार पर खारिज कर दी है। याचिका में 1977 से 2002 तक जन स्वास्थ्य रक्षक के रूप में किये गए कार्य का 50 रूपये प्रतिमाह बकाया मानदेय के भुगतान की मांग में 2018 में दाखिल की गयी थी। 2002 में यह स्कीम बन्द कर दी गई। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने कहा कि याची इतने वर्षों तक बकाये के भुगतान की मांग क्यों नहीं की।
एलयू में गुंडई करने वाले छात्र की गिरफतारी पर रोक की मांग हाई कोर्ट ने ठुकराई
यह आदेश जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने संदीप चौधरी की ओर से दाखिल रिट याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया। याची के वकील देवेंद्र उपाध्याय का तर्क था कि संदीप उक्त घटना में शामिल नहीं था और न ही घटना में किसी को ऐसी केई गंभीर चोंटे ही आयी थी और न ही किसी शिक्षक का केई मेडिकल ही कराया गया था ऐसे में उसके खिलाफ पुलिस बिना किसी सबूत आईपीसी की धारा 307 लगाकर उसका उत्पीड़न कर रही है। याची ने प्राथमिकी रद करने व दौरान विवेचना गिरफतारी पर रेक लगाने की मांग की थी।
वहीं सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव ने प्राथमिकी को रद करने का जोरदार विरोध किया और तर्क दिया कि प्राथमिकी को पढ़ने से ही उससे संज्ञेय अपराध का होना स्पष्ट है अतः ऐसे में प्राथमिकी को रद नहीं किया जा सकता है। श्रीवास्तव ने यह भी तर्क दिया कि दौरान विवेचना पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से याची संदीप की पहचान की है कि वह घटना में शामिल था।
इस पर कोर्ट ने छात्र संदीप को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया और सरकार को सारे सबूत कोर्ट में पेश करने का आदेश दे दिया।
नीट उत्तीर्ण प्राइवेट छात्रों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत
लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नीट परीक्षा में उत्तीर्ण यूपी बोर्ड के छात्रों की काउंसलिंग कराने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने ऐसे प्राइवेट छात्रों के सीटों के आवंटन का भी आदेश दिया है जिन्हें काउंसलिंग के बाद प्राइवेट छात्र होने के आधार पर रोक दिया गया था।
यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने अर्पिता वर्मा व अन्य छात्रों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर दिया। याचिकाओं में कह अगय अथा कि 22 जुलाई 2018 को सम्बंधित रेग्युलेशन में एमसीआई ने संशोधन करते हुए, व्यवस्था दी कि नीट परीक्षा में बैठने के लिए प्राइवेट छात्र योग्य नहीं होंगे। इसके साथ ही नए प्रावधानों में यह भी कहा गया कि फिजिक्स, केमेस्ट्री व बॉयोलॉजी विषयों में जिन छात्रों ने इंटरमीडिएट में दो वर्ष अनवरत पढाई की होगी, वे ही नीट परीक्षा के योग्य होंगे। याची अर्पिता वर्मा के अधिवक्ता शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 22 जुलाई का संशोधन यूपी बोर्ड के प्राइवेट छात्रों पर लागू नहीं होता। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि रेग्युलेशन 4(2)(ए) में संशोधन किया गया है जबकि रेग्युलेशन 4(2)(बी) को एमसीआई ने जस का तस रखा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए, कोर्ट ने कहा कि रेग्युलेशन 4(2)(ए) सीबीएसई व आईसीएसई के छात्रों के लिए है जबकि रेग्युलेशन 4(2)(बी) स्टेट बोर्ड के छात्रों पर लागू होता है। कोर्ट ने यूपी बोर्ड के प्राइवेट छात्रों को असंशोधित नियम के तहत मानते हुए, उनके काउंसलिंग के आदेश दिए।