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देवरिया कांड: विवेचना कार्यवाही से फिलहाल कोर्ट असंतुष्ट, अब 20 को सुनवाई

sudhanshu
Published on: 13 Aug 2018 7:17 PM IST
देवरिया कांड: विवेचना कार्यवाही से फिलहाल कोर्ट असंतुष्ट, अब 20 को सुनवाई
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इलाहाबाद: देवरिया सेल्टर होम मामले की इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को सुनवाई की। प्रदेश सरकार ने एसआईटी द्वारा की गई जांच की कोर्ट को जानकारी दी। परन्तु कोर्ट जांच कार्यवाही से संतुष्ट नहीं हुई। अब मामले की सुनवाई 20 अगस्त को होगी।

पीडितों के नाम उजागर करने पर कोर्ट नाराज

मुख्य न्यायाधीश डी.बी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने पुलिस को सेल्टर होम के स्टाफ व पड़ोसियों व लड़कियों को लाने ले जाने वाली कारों के ड्राइवरों का पता लगाकर बयान दर्ज न करने पर विवेचना के तरीके पर सवाल उठाये। कोर्ट ने मीडिया में पीड़ितों की पहचान व नाम देने पर कड़ी नाराजगी प्रकट की और कहा कि यदि मीडिया लड़कियों का नाम उजागर करेगी तो कोर्ट अवमानना कार्यवाही करेगी।

अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि सेल्टर होम संचालक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भवन को सील किया गया है, प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। कोर्ट ने कहा कि ब्लैक लिस्टेड सेल्टर होम में लड़कियां भेजने वाले पुलिस के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की गयी। गोयल ने बताया कि 18 थानों की पुलिस ने लड़कियां भेजी है। संबंधित थाना प्रभारी का तबादला कर दिया गया है। कोर्ट ने जानना चाहा कि घटना के बाद क्या सरकार ने सभी सेल्टर होमो में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया है। क्यों न विधिक सेवा प्राधिकरण के जिले के जिले के सचिवों को निरीक्षण के लिए कहा जाय। मनीष गोयल ने कहा कि होम की 48 लड़कियों में से एक को छोड़कर सभी की बरामदगी कर ली गयी है। कोर्ट ने कहा कि विवेचनाधिकारी द्वारा स्टाफ व पड़ोसियों के बयान तक नहीं लिये। यह जानने का प्रयास नहीं किया कि लड़कियां कहां किस वीआईपी के पास जाती थी। इस संबंध में क्या कदम उठाये गये हैं। कोर्ट ने पूछे जाने पर गोयल ने बताया कि वाराणसी की गुड़िया व नोएडा की उद्यान केयर नामक सरकारी मान्यता प्राप्त एनजीओ है। कोर्ट ने 10 बजे सुनवाई शुरू की और दो बजे पुनः सुनवाई की। बाद में एक इलाहाबाद की संस्था की सहायता मुद्दे पर चेम्बर में सुनवाई की। उन्होंने कोर्ट से 48 घंटे का समय मांगा और कहा सरकार गंभीर है और सख्त कार्यवाही करेगी।

कोर्ट की अन्‍य खबरें:

टीजीटी के लीक प्रश्नपत्र पर जवाब तलब

इलाहाबाद: टीजीटी 2018 का पर्चा लीक होने के मामले में हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग और प्रदेश सरकार के अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि अधिकारी अपने व्यक्तिगत हलफनामे में स्पष्ट करें कि एसटीएफ द्वारा पकड़े गये साल्वर गैंग से जो प्रश्न पत्र बरामद हुआ है क्या यह वही प्रश्नपत्र हो जो परीक्षा में पूछा गया था। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी.केशरवानी ने विजयनाथ और अन्य की याचिका पर दिया है। टीजीटी की परीक्षा 29 जुलाई 2018 को हुई थी। उसी दिन एसटीएफ ने साल्वर गैंग के कई सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से एलटी गे्रड परीक्षा का प्रश्नपत्र बरामद किया था। अपर महाधिवक्ता एम.सी.चतुर्वेदी का कहना था कि साल्वर गैंग से बरामद प्रश्न पत्र वह प्रश्न पत्र नहीं था जो परीक्षा में पूछा गया था। याची के वकील का कहना था कि पर्चा आउट हुआ है मगर उनको नहीं मालूम कि साल्वर गैंग से बरामद पर्चा और परीक्षा में पूछा गया पर्चा एक ही है। इस पर कोर्ट ने अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफनामा मांग लिया है। उल्लेखनीय है कि टीजी परीक्षा महिला/पुरूष 29 जुलाई को हुई थी। याचिका में परीक्षा निरस्त कर नये सिरे से कराने की मांग की गयी है।

सीएमपी डिग्री कालेज में एसोसिएट प्रोफेसर भर्ती में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति को चुनौती

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने सीएमपी डिग्री कालेज इलाहाबाद में एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया के तहत विपक्षियों को सहायक प्रोफेसर पद पर चयनित कर नियुक्ति वैधता की चुनौती याचिका पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है और सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्त पांच विपक्षियों को नोटिस जारी की है। याचिका की सुनवाई पांच सितम्बर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति बी.अमित स्थालेकर तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खण्डपीठ ने डा.कमल उल्लाह की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता शैलेन्द्र ने बहस की। याची का कहना है कि 21 जून 18 के विज्ञापन से सहायक प्रोफेसर सांख्यिकी का पद पर आवेदन मांगे गये। यह नियुक्ति संविदा पर नियत वेतन पर की जानी है। चयन समिति की 13 जुलाई 18 को हुई बैठक में विपक्षियों की नियुक्ति कर दी गयी। इनकी एसोसिएट प्रोेफेसर के खाली पद पर सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति की गयी है। याची का कहना है कि वह पिछले सत्रह सालों से संविदा पर सहायक प्रोफेसर पद पर कार्य कर रहा है। अब उसके स्थान पर नये लोगों की नियुक्ति कर ली गयी है। शशांक शेखर का कहना था कि याची पद के योग्य नहीं पाये जाने के कारण चयनित नहीं हो सका। कोर्ट ने प्रकरण को विचारणीय माना और सभी विपक्षियों से जवाब मांगा है। दूसरी तरफ सीएमपी के प्राचार्य डा.आनंद कुमार श्रीवास्तव को 70 साल तक कार्य करते रहने की अनुमति देने की वैधता मामले में भी कोर्ट ने विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है। डा.एम.मैसे व अन्य ने याचिका दाखिल कर कहा है कि प्राचार्य की नियुक्ति के खिलाफ डा.प्रदीप कुमार वर्मा की याचिका के समान याची का भी प्रकरण है। कोर्ट ने 28 अक्टूबर 17 के कार्यवाही परिषद के प्रस्ताव की प्रति मांगी है।

महिला अध्यापिकाओं के अन्तर्जनपदीय तबादले की मांग में सैकड़ों अध्यापिकाओं की याचिका खारिज

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने उ.प्र. बेसिक शिक्षा परिषद की 10 जून की अन्तर्जनपदीय तबादलों की गाइडलाइन को सही माना है और सैकड़ों सहायक अध्यापिकाओं के अन्तर्जनपदीय तबादले की मांग में दाखिल याचिकाओं पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए खारिज कर दी है। बोर्ड की तबादला नीति के तहत जिन जिलों में 15 फीसदी से अधिक अध्यापकों के पद खाली होंगे, उनसे तबादले नहीं होंगे। कोर्ट ने इच्छानुसार तबादले की मांग अस्वीकार करने के आदेश को सही माना है और कहा है कि सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच, सोनभद्र, चंदौली, फतेहपुर, चित्रकूट एवं बलरामपुर जिलों में ही मनचाहे तबादले लेने की भारत सरकार ने अनुमति दी है। इसलिए गाइडलाइन अनिवार्य शिक्षा कानून व नियमावली के विपरीत नहीं मानी जा सकती।

यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी.केशरवानी ने श्रीमती रूचि एवं सैकड़ों अन्य अध्यापिकाओं की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि गाइडलाइन पारदर्शिता एवं मनमानी पर रोक लगाने के लिए जारी किया गया है। अनिवार्य शिक्षाकानून के तहत कुछ जिलों में तबादले लेने की छूट दी है क्योंकि वहां अध्यापकों की कमी है। उन जिलों में कोई भी तबादला लेकर जा सकता है। आठ जिलों को ही अति पिछड़ा जिला घोषित किया गया है। ऐसा करना अधिनियम के उपबंधों के खिलाफ नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि सहायक अध्यापकों के तबादले बोर्ड की गाइडलाइन व अनुमति से ही किये जा सकते हैं। बोर्ड ने तय किया है कि अति पिछड़े आठ जिलों के अध्यापकों के तबादले नहीं किये जायेंगे। इन जिलों में अध्यापकों की कमी के चलते तबादले नहीं किये जा सकते। कोर्ट ने कहा कि याचियों को अन्तर्जनपदीय तबादले मांगने का विधिक अधिकार नहीं है। सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं।

रेल नीर का अधिक दाम वसूलने पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश

लखनऊ: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आनंद प्रकाश सिंह ने रेल नीर का निर्धारित से ज्यादा मूल्य लेने के एक मामले में आईआरसीटीसी एनईआर, चारबाग के वेंडर कृष्णा इंटरप्राइजेज के साथ ही एनईआर के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक व स्टेशन अधीक्षक तथा आरपीएफ के प्रभारी निरीक्षक के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया है। केर्ट ने थानाध्यक्ष जीआरपी को दिए अपने आदेश में यह भी कहा है कि एफआईआर की प्रति सात दिन में अदालत भेजना सुनिश्चित करें।

अदालत ने यह आदेश आशीष कुमार जैन की अर्जी पर संज्ञान लेते हुए दिया है। अर्जी पर बहस करते हुए वकील रामजी सिंह का कहना था कि 11 जून, 2018 को आशीष गोरखपुर से लखनऊ ट्र्रेन से पहुंचे। प्यास की वजह से एनईआर स्टेशन, चारबाग स्थित आईआरसीटीसी के स्टाल पर गए। वहां वेंडर कृष्णा इंटरप्राइजेज से रेल नीर का एक बोतल लिया। जिसके एवज में संचालक को 100 रुपए का नोट दिया। लेकिन उसने निर्धारित मुल्य से ज्यादा की रकम काट लिया। विरोध करने पर वेंडर ने कहा कि कहीं भी शिकायत करो, मेरा कुछ नहीं होगा। बल्कि आपके लिए समस्या हो जाएगी। पूरी रात लॉकअप में गुजारनी पड़ जाएगी। उसने यह भी कहा कि आरपीएफ से लेकर एनईआर के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक व स्टेशन अधीक्षक को भी इस रकम का हिस्सा जाता है। इसलिए ज्यादा इस लफड़े में मत पड़ो। आशीष ने इसकी लिखित शिकायत जीआरपी, चारबाग से की। लेकिन उनकी शिकायत नहीं दर्ज की गई। तब रजिस्टर्ड डाक से एसएसपी को शिकायत भेजी। फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। लिहाजा गुजारिश है कि इस मामले में विपक्षीगणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया जाए।

केर्ट ने पत्रावली पर उपलब्ध तथ्यों के मद्देनजर इस मामले में प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का होना पाया। उन्होंने थानाध्यक्ष जीआरपी को आदेश दिया है कि वो विवेचना के परिणाम से अदालत को भी अवगत कराएं।

हाईकोर्ट ने एलयू मारपीट मामले की जांच में प्रगति रिपोर्ट मांगी

लखनऊ: हाईकोर्ट ने एलयू में हुए मारपीट मामले में अगली सुनवाई पर जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश एसएसपी लखनऊ को दिए हैं। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान एसएसपी लखनऊ व एलयू के प्रॉक्टर कोर्ट में उपस्थित रहे। एसएसपी की ओर से अब तक की प्रगति के बारे में कोर्ट को बताया गया कि अब तक 14 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इस पर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस आरएस चौहान की बेंच ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों तथा शासन के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए गठित की गई कमेटी के बावत अग्रिम सुनवाई पर जानकारी देने का आदेश दिया। वहीं कोर्ट ने एसएसपी को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट प्रदान कर दी है। मामले की अगली सुनवाई 15 सितम्बर को होगी।

आज ही जारी करें हज जाने वाले का पासपेर्ट

लखनऊ: हाईकोर्ट ने हज जाने की चाह रखने वाले एक यात्री का पासपेर्ट जारी करने में बेवजह देरी करने पर गंभीर रूख अपनाते हुए लखनउ के पासपेर्ट आफीसर के उक्त यात्री को गुरूवार सुबह दस बजे से बारह बजे के बीच पासपेर्ट जारी करने का आदेश दिया है। केर्ट ने मामले की प्रगति जानने के लिए गुरूवार अपरान्ह पुनः केस की सुनवायी करने का आदेश दिया है। केर्ट ने याची के भी निर्देश दिया है कि वह अपनी पहचान एवंं पते से संबधित सबूत पासपेर्ट अधिकारी के उपलब्ध करायेगा जिसके बाद ही उसे पासपोर्ट जारी किया जा सकेगा।

यह आदेश जस्टिस शबीहुल हस्नेन एवं जस्टिस राजन राय की बेचं ने निसार अहमद की याचिका पर पारित किया । याची की अेर से कहा गया कि वह हज करने जाना चाहता है। इसलिए उसने पासपेर्ट के लिए आवेदन किया था और सारी औपचारिकतायें भी पूरी कर दी थी। उसकी ओर से कहा गया कि हज हेतु मक्का जाने की अंतिम फ्लाइट 17 अगस्त को जानी है और अभी तक उसका पासपोर्ट उसे नहीं मिला है।

केंद्र सरकार के असिस्टेंट सालिसिटर जनरल एस बी पांडे ने केर्ट को बताया कि याची का पासपोर्ट संस्तुत हो चुका है और वह प्रिंटिग के लिए प्रकिया में है। उन्हेने कहा कि शीघ्र ही याची के पासपेर्ट डाक के जरिये प्रेषित कर दिया जायेगा।

इस पर याची की ओर से कहा गया कि उसे पासपेर्ट तत्काल दिलाया जाये क्यें कि डाक से पासपेर्ट आने में देरी हो सकती है जबकि अंतिम फ्लाइट 17 अगस्त को ही है।

परिस्थितियें पर गौर करने के बाद कोर्ट ने याची के गुरूवार के ही पासपेर्ट उपलब्ध कराने का आदेश जारी कर दिया।



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