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Hindu Yuva Vahini: आखिर अचानक क्यो भंग कर दी गईं हिन्दू युवा वाहिनी की इकाईयां? यह है बड़ी वजह

Hindu Yuva Vahini Dissolved: सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा अचानक हिन्दू युवा वाहिनी की इकाईयों के भंग होने की सूचना सोशल मीडिया से फैलने के बाद हर कोई आश्चर्य में है।

Purnima Srivastava
Published on: 3 Aug 2022 2:28 PM GMT (Updated on: 3 Aug 2022 2:39 PM GMT)
After all, why were the units of Hindu Yuva Vahini suddenly dissolved? this is the big reason
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 हिन्दू युवा वाहिनी की सभी इकाईयां भंग: Photo- Social Media

Hindu Yuva Vahini dissolved: जिस हिन्दू युवा वाहिनी (Hindu Yuva Vahini) की ऊर्जा और जोश के सहारे योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सूबे की सत्ता पर काबिज हुए, बुधवार को उसकी सभी इकाईयों को अचानक भंग कर दिया गया। बड़ी कार्रवाई के बाद सियासी गलियारे में कई चर्चाएं हैं। हालांकि कोई खुल कर कुछ कहने से बच रहा है। कोई हियुवा की गतिविधियों को लेकर योगी आदित्यनाथ की नाराजगी को वजह बता रहा है तो कोई हियुवा से मिलते जुलते नाम के कई संगठन के वजूद में आने को। लेकिन इतना तय है कि अब हियुवा के नाम पर 'गलत' करने वालों के बुरे दिन आने वाले हैं।

सीएम योगी आदित्यनाथ के तीन दिवसीय गोरखपुर दौरे के बीच अचानक हिन्दू युवा वाहिनी की इकाईयों के भंग होने की सूचना सोशल मीडिया (social media) से फैलने के बाद हर कोई आश्चर्य में है। हियुवा के प्रदेश प्रभारी राघवेंद्र प्रताप सिंह ने इकाईयों के भंग होने की जानकारी देते हुए जल्द इसके पुनर्गठन का दावा किया है। उनका कहना है कि लम्‍बे समय से संगठन में इकाइयों का पुनर्गठन नहीं हुआ था।

हिन्‍दू युवा वाहिनी के संस्‍थापक सीएम योगी

बता दें कि हिन्‍दू युवा वाहिनी के संस्‍थापक सीएम योगी आदित्‍यनाथ के निर्देशन में 2002 में गठन हुआ था। हियुवा ने ही दो दशक पहले नारा दिया था कि गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है। जो बाद में पूर्वांचल होते हुए पूरे प्रदेश में गूंज रहा है। अब तो नारा लगने लगा है कि यूपी में रहना है, तो योगी-योगी कहना है। बता दें कि वाहिनी ने योगी आदित्‍यनाथ के 2004, 2009 और 2014 के चुनाव प्रचार अभियान में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सीएम योगी आदित्यनाथ: Photo- Social Media

योगी की सभाओं में भाजपा के साथ हियुवा के झंडे लहराते रहे हैं

योगी आदित्यनाथ पहले भी हियुवा की गतिविधियों को लेकर सवालों में रहे हैं। लेकिन वे हमेशा कहते रहे हैं कि सांस्कृतिक आंदोलन के लिए हियुवा है। इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन हकीकत यह है कि योगी के उभार के वक्त उनकी सभाओं में जितने झंडे भाजपा के होते थे, उससे कम हियुवा के नहीं होते थे। 2017 के चुनाव से पहले हियुवा का प्रभाव पूर्वांचल से अधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहुंच चुका था। हियुवा ने ही लव जेहाद और कैराना जैसे मुद्दों को राजनीतिक रंग देने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन सत्ता के शीर्ष पर बैठने के बाद योगी हियुवा की गतिविधियों को लेकर काफी सतर्क हो गए थे।

हियुवा के नाम पर पैरवी को लेकर सतर्क थे योगी

मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने हियुवा के पदाधिकारियों की गोरखनाथ मंदिर में बैठक बुलाई थी। जिसमें कड़े लहजे में चेताया था कि थानों से लेकर अधिकारियों के पास संगठन के नाम से कोई पैरवी नहीं पहुंचनी चाहिए। हियुवा के मूल कैडर के पदाधिकारी तो योगी के तेवर को देखते हुए शांत रहे लेकिन अन्य जिलों में कई पदाधिकारी इसका दुरुपयोग करने लगे। जिसे लेकर सीएम ने इशारों में समझाया भी था।

सभी इकाईयों को भंग करने का निर्देश

माना जा रहा है कि हियुवा या इसके जैसे मिलते जुलते संगठनों की कई शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंची थी। जिसे देखते हुए उन्होंने सभी इकाईयों को भंग करने का निर्देश दिया। माना जा रहा है कि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जिनके खिलाफ भी शिकायतें हैं, उनके विरूद्ध कार्रवाई तेज होगी। सब कुछ काबू में होने के बाद ही नई कार्यकारिणी की घोषणा की जाएगी।

Shashi kant gautam

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