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मजहब की राजनीति करने वालों के मुंह पर तमाचा है, काशी का ये शिव मंदिर

sujeetkumar
Published on: 24 Feb 2017 11:41 AM GMT
मजहब की राजनीति करने वालों के मुंह पर तमाचा है, काशी का ये शिव मंदिर
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वाराणसी: बनारस में बना ये शिव मंदिर दो संप्रदायों के सौहार्द का वो मिलन हैं, जो वाराणसी में पिछले 12 सालों से मिशाल बना हुआ हैं। वैसे तो बनारस की हर गली में शिव मंदिर है, लेकिन ये शिव मंदिर इसलिए खास माना जाता है, क्योंकि इस मंदिर को बनाने वाला कोई हिंदू नहीं बल्कि एक मुस्लिम हैं। इस मंदिर को साल 2004 में वाराणसी की रहने वाली नूर फातिमा ने अपने घर के पास बनवाया था।

जिसे कुछ दिनों बाद सार्वजनिक कर दिया गया था। फातिमा पेशे से एक वकील हैं। जो वाराणसी के न्यायालय में वकालत करती हैं। नूर फातिमा 20 सालों से वाराणसी में वकालत कर रही हैं। इतना ही नहीं अगर उनके पास किसी महिला का केस आता है, तो वह उससे पैसा भी नहीं लेती है।

जाने मंदिर का रहस्य

-साल 2004 में उनकों स्वप्न में एक मंदिर दिखाई पड़ता था।

-जिसके बाद उन्होंने मंदिर जाना शुरू किया।

-लेकिन कुछ दिनों बाद उनके पति की एक दुर्घटना में मौत हो गई।

-जिसके बाद उन्होंने मंदिर बनवाने का सोचा और मिर्माण की पहली ईट अपने हाथों से रखी।

-जो पांच महीने बाद 8 मार्च 2005 को बनकर तैयार हुआ।

आगे की स्लाइड में देखें मंदिर की कुछ और फोटोज ...

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