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अब हाईटेक डिवाइस से की जाएगी डीजल की बचत
धनंजय सिंह
लखनऊ : उत्तर प्रदेश परिवहन निगम अब डीजल की बचत के जरिए अमदनी बढ़ाने की नई पहल को अंजाम देने जा रहा है। दरअसल परिवहन निगम की तकरीबन 14 हजार बसों में सालाना औसतन 14 सौ करोड़ रुपए का इंधन लगता है। खस्ताहाल बसों और रखरखाव में बरती जाने वाली खामियों के चलते इंधन का समुचित उपयोग नहीं हो पाता। इन्ही स्थितियों से निपटने को लेकर अब परिवहन निगम अपने 105 डिपो की सभी बसों में पहली जनवरी 2020 से रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिटी डिवाइस (आरएफआईडी) रिंग लगाने जा रहा है। जिन बसों आरएफआईडी रिंग लगी होगी उन्हीं बसों को इंधन उपलब्ध कराया जाएगा।
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परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक राजशेखर के अनुसार, खर्च में कमी और राजस्व स्रोतों में वृद्धि इन दोनों पहलुओं पर यूपीएसआरटीसी काम कर रहा है। यूपीएसआरटीसी का ईंधन पर औसतन खर्च प्रति वर्ष लगभग 1300 से 1400 करोड़ रुपए है। एक बस चलाने पर कुल खर्च का एक तिहाई ईंधन पर ही होता है। यदि ईंधन के रिसाव, उपयोग/दुरुपयोग को नियंत्रित कर लेते हैं तो बचत भारी हो सकती है और बसों का माइलेज बढ़ाया जा सकता है। राजशेखर का का इशारा परिवहन निगम में लगातार बढ़ रही तेल चोरी की तरफ है। तेल चोरी और प्रशिक्षित ड्राइवरों के अभाव में परिवहन निगम को सलाना करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। माना जा रहा है कि आरएफआईडी रिंग लगाने से तेल की खपत में कमी तो आएगी ही तेल चोरी को भी रोका जा सकेगा।
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प्रबंध निदेशक ने बताया कि कुल 105 डिपो में से 98 भारतीय तेल निगम द्वारा चलाए जाते हैं। आईओसी की मदद से फ्यूल ऑटोमेशन परियोजना शुरू की है। अब तक आईओसी ने लगभग 20 करोड़ रुपए के खर्च करके 73 डिपो को स्वचालित कर दिया गया है। किसी भी बस में किसी भी समय किसी भी डिपो में तेल का प्रत्येक लीटर डिपो में स्थापित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर पर आटोमैटिक रूप से दर्ज कर लिया जाएगा।
राजशेखर ने बताया कि प्रत्येक बस में फ्यूल टैंक के नोजल के चारों ओर आरएफआईडी रिंग लगाया जाता है। ईंधन गन से निकलते समय सेंसर अपने आप लीटर डेट, टाइम, प्लेस आदि पढऩे के साथ-साथ बस के फ्यूल और डेटा की मात्रा को सेव कर लेगा और सॉफ्टवेयर में अपडेट कर देगा।
यह ईंधन की मात्रा और प्रत्येक बस के लिए लाभ के बारे में एक रियल टाइम डेटा देता है, जो हमें ईंधन के रिसाव, दुरुपयोग, अपव्यय को रोकने में मदद करेगा और प्रत्येक बस को ट्रैक करने और उसके चालक के प्रदर्शन और आउटपुट पर निगरानी रखने में मदद करेगा।
प्रबंध निदेशक के अनुसार अब तक 73 डिपो स्वचालित हो चुके हैं, लेकिन कुछ तकनीकी और प्रशासनिक समस्याएं अभी भी सामने आ रही हैं।
उन्होंने बताया कि 73 डिपो के स्वचालन का परिणाम और अनुभव काफी सकारात्मक दिखा है और इससे हमें बसों की दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ सालाना करोड़ों रुपये बच रहे हैं। प्रबंध निदेशन ने सख्त हिदायत दी है कि, जो ड्राइवर, कंडक्टर, कर्मचारी या अधिकारी आरएफआईडी रिंग के साथ छेड़छाड़ किए पाया गया तो उन्हें सेवा से हटा दिया जाएगा। निगम के पास लगभग 13429 बसें हैं, जो १८ लाख लोगों को ले जाती हैं।