Sonbhadra में बच्चे प्राकृतिक रंगों से खेलेंगे होली, ऐसे सीखा प्राकृतिक रंग-गुलाल बनाने का तरीका

Sonbhadra News: दुद्धी ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कलकल्लीबहरा प्रथम में रंग-बिरंगी होली मनाने के लिए बच्चों को प्राकृतिक रंग, अबीर, गुलाल बनाने की विधि बताई गई।

B.K Kushwaha
Report B.K KushwahaPublished By Deepak Kumar
Published on: 17 March 2022 3:32 PM GMT
Sonbhadra News child learned how to make natural colours In Sonbhadra
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बच्चों ने बनाई होली।

Sonbhadra News: दुद्धी ब्लॉक क्षेत्र (Duddhi Block Area) के प्राथमिक विद्यालय कलकल्लीबहरा प्रथम में रंग-बिरंगी होली मनाने के लिए बच्चों को प्राकृतिक रंग, अबीर, गुलाल बनाने की विधि बताई गई। प्रधानाध्यापिका वर्षा रानी की अगुवाई में आयोजित कार्यक्रम में विद्यालय के बच्चों को कृत्रिम रंगों और केमिकल युक्त अबीर-गुलाल से रंग खेलने के नुकसान बताए गए। किस प्रकार कृत्रिम रंग, अबीर गुलाल हमारी त्वचा, आंखों, फेफड़ों और शरीर को नुकसान पहुंचाता है, इसकी जानकारी दी गई।

बच्चों को सीख दी गई कि प्राकृतिक रंग बनाकर होली खेलें तो त्वचा के रंग में निखार आएगा। आंखों में ठंडक और ताजगी बनी रहेगी। शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। बताया गया कि प्रकृति से सुगमता पूर्वक, किफायती मिलने वाली प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग कर लोग होली का लुत्फ़ उठा सकते हैं।


घरेलू चीजों से बनाया रंग

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के राजकीय पुष्प "पलाश" जिसे "टेसू" और विभिन्न नामों से भी जानते हैं, यह प्रचुर मात्रा में सोनभद्र में पाया जाता है। इसका औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। बच्चों को बताया गया कि पलाश के फूलों को इकट्ठा कर उसकी अच्छी तरीके से साफ-सफाई कर पीस लें। पानी में उबालें। उसे छानकर ढेर सारे नारंगी और केसरी रंग बनाकर होली खेल सकते हैं। गुलाबी रंग बनाने के लिए चुकंदर को पीसकर पानी में घोल दें जिससे बहुत सुंदर गुलाबी रंग बनकर तैयार हो जाता है। इसी तरह हरा रंग बनाने के लिए पालक और धनिया को पीसकर पानी में घोल लें। उसे छानकर हरा रंग तैयार कर लें।


पीला रंग, कच्ची या सूखी हल्दी से, लाल रंग तैयार करने के लिए- तूत के पके फल को पतले सूती कपड़े में छानकर गाढ़ा लाल रंग बनाकर होली का आनंद उठा सकते हैं। वर्षा ने बताया कि शाम को अबीर-गुलाल से होली खेली जाती है। बाजार में मिलने वाले अबीर गुलाल में बालू, शीशा और विभिन्न कृत्रिम रंगों का प्रयोग किया जाता है, जिसका बहुत ही हानिकारक प्रभाव हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए बच्चों को प्राकृतिक अबीर गुलाल बनाने की विधि सिखायी गई।


उत्साह के साथ मनाएं होली त्योहार

बच्चों को सीख दी गई कि इसके लिए अरारोट में प्राकृतिक रंगों या 'फूडकलर' को घोलकर खुशबू के लिए इत्र डालकर थाली में फैला लें। धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने पर पीसकर सुगंधित रंग-बिरंगे लाल, पीला, हरा, गुलाबी, नारंगी विविध रंगों का गुलाल बनाकर पूर्ण उत्साह के साथ रंगों का त्योहार होली मनाएं। कलकलीबहरा (प्रथम) बीड़र पर आयोजित कार्यक्रम में सरिता वार्ष्णेय, अविनाश कुमार गुप्ता, सरिता, लक्ष्मीपुरी सिंह आदि भी बच्चों को प्राकृतिक रंगों से होली खेलने के लिए प्रेरित करने में लगे रहे।

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Deepak Kumar

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