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Holi 2022: 'होली' जरा संभलकर मनाएं! खतरनाक हैं चमकीले-चटकदार केमिकल युक्त रंग

Holi 2022: बाजारों में रंग, अबीर और गुलाल बिकने लगे हैं। बिना रंगों के होली की कल्पना नहीं की जा सकती है। रंगों से खेलने से पहले ये ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि हर्बल रंगों का इस्तेमाल किया जाए।

Shashwat Mishra
Report Shashwat MishraPublished By Vidushi Mishra
Published on: 14 March 2022 3:11 PM GMT (Updated on: 14 March 2022 3:12 PM GMT)
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बाजानों में छाई डोरेमोन और छोटा भीम वाली पिचकारियां (photo : social media )

Holi 2022: रंगों का त्यौहार 'होली' को आने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। बाजारों में रंग, अबीर और गुलाल बिकने लगे हैं। बिना रंगों के होली की कल्पना नहीं की जा सकती है। रंगों से खेलने से पहले ये ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि हर्बल रंगों का इस्तेमाल किया जाए। केमिकल युक्त रंग न केवल आपकी त्वचा को खराब करते हैं, बल्कि कई तरह की गंभीर एलर्जी का कारण बन सकते हैं।

केमिकल युक्त या मिलावटी रंग के नुकसान

होली में केमिकल युक्त रंगों के इस्तेमाल से स्किन से जुड़ी कई समस्याओं के होने का खतरा होता है। हानिकारक केमिकल से बनने वाले रंग मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं, इन्हें बनाने में भी कम समय लगता है और हर्बल रंगों की तुलना में ये सस्ते भी होते हैं। इसलिए अधिकतर लोग इन रंगों को खरीद लेते हैं।

त्वचा के लिए हानिकारक माने जाने वाले इन रंगों के आंख में जाने से बड़ी समस्या हो सकती है। चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अलीज़ा जैदी के मुताबिक- पारा, सल्फेट, लेड ऑक्साइड, तांबा सल्फेट और मैलाकाइट जैसे कई अन्य तरह के हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल कर इन रंगों को बनाया जाता है।

इन रंगों में कई तरह के ग्लास पार्टिकल्स और अभ्रक (माइका डस्ट) भी मौजूद होते हैं। चिकित्सकों के मुताबिक इन रंगों के इस्तेमाल से स्किन से जुड़ी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। शरीर पर मौजूद चोट या घाव में जाने से ये एक्जिमा और कैंसर के अलावा आंख और त्वचा में जलन, एलर्जी और गंभीर संक्रमण भी पैदा कर सकते हैं।

ऐसे करें हर्बल और केमिकल युक्त रंगों की पहचान

केमिकल से बने रंगों के इस्तेमाल से त्वचा के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। इन रंगों में मौजूद ग्लास और डस्ट पार्टिकल्स हवा की गुणवत्ता को भी खराब करते हैं। होली में रंगों के अलावा गुलाल और अबीर का प्रयोग किया जाता है, जिनमें ये पदार्थ मौजूद होते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में पीएम 10 की मात्रा भी इन नकली और मिलावटी अबीर या गुलाल के इस्तेमाल से बढ़ जाती है। इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों से जुड़ी समस्या का भी खतरा बढ़ जाती है।

मिलावटी या नकली रंगों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान

चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अलीज़ा जैदी (Dermatologist Dr. Aliza Zaidi) ने बताया कि होली में बिकने वाले सिंथेटिक रंगों के निर्माण में इस्तेमाल किये जाने वाले मैलाकाइट, कार्सिनोजेनिक, रोडामाइन जैसे विषाक्त केमिकल बेहद हानिकारक होते हैं। इन रंगों के इस्तेमाल से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

डॉ. अलीज़ा ज़ैदी

• स्किन में जलन और खुजली।

• स्किन एलर्जी और इन्फेक्शन।

• आंखों में लगने से जलन की समस्या।

• एक्जिमा और कैंसर जैसी बीमारी का खतरा।

• अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी समस्या का खतरा।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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