×

ब्रज में आज से शुरू हुआ श्याम संग होली का रंग, 40 दिन तक रहेगा उल्लास

वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही ब्रज में होली की शुरुआत आज वसंत पचंमी से शुरू हो गई है। होली में अभी भले ही वक्त हो, लेकिन ब्रज में आज से ही होली की शुरुआत हो चुकी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रज में बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही बसंत-पंचमी के दिन से होली की शुरुआत हो जाती है।

Dharmendra kumar
Published on: 10 Feb 2019 9:11 AM GMT
ब्रज में आज से शुरू हुआ श्याम संग होली का रंग, 40 दिन तक रहेगा उल्लास
X

मथुरा: वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही ब्रज में होली की शुरुआत आज वसंत पचंमी से शुरू हो गई है। होली में अभी भले ही वक्त हो, लेकिन ब्रज में आज से ही होली की शुरुआत हो चुकी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रज में बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही बसंत-पंचमी के दिन से होली की शुरुआत हो जाती है।

यह भी पढ़ें.....प्रियंका गांधी की जींस और उनकी साड़ी-सिंदूर आई बीजेपी सांसद के निशाने पर

ब्रज के सभी प्रमुख मंदिरों में आज के दिन से ही गुलाल उड़ाने की शुरुआत हो जाती है और ये सिलसिला अगले 40 दिन तक चलता है। बसंत-पंचमी के दिन वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में भी जमकर गुलाल उड़ाया जाता है।

यह भी पढ़ें.....रामलला की जमीन को रातोंरात VHP के हवाले कर दिया जाए: सुब्रमण्यम स्वामी

परंपरा के मुताबिक आज के दिन मंदिर में श्रृंगार आरती के बाद सबसे पहले मंदिर के सेवायत पुजारी भगवान बांकेबिहारी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस पर्व की विधिवत शुरुआत करते हैं और उसके बाद इस पल के साक्षी बने मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं पर सेवायत पुजारियों द्वारा जमकर गुलाल उड़ाया जाता है।

यह भी पढ़ें.....मोदी सरकार ने 26 साल पुराना नियम बदल कर दी बीजेपी के वोटों की जुगाड़

मंदिर में होली की विधिवत शुरुआत होने के कुछ देर बाद ही प्रांगण में माहौल बेहद खुशनुमा हो जाता है और यहां सिर्फ गुलाल ही गुलाल नजर आता है। प्रांगण में मौजूद श्रद्धालू भी भगवान बांकेबिहारी के साथ होली खेलने के इस पल का खूब आनंद उठाते है और एक-दूसरे पर भी जमकर गुलाल लगाते हैं।

यह भी पढ़ें.....जहरीली शराब पर CM योगी ने जताया साजिश का शक, अखिलेश ने खोला मोर्चा

बसंत-पंचमी के दिन से ही मंदिरों में होली खेलने की शुरुआत होने के साथ ही ब्रज में होली का डांढ़ा गाढ़ने की भी परम्परा रही है। इसीलिए आज ही के दिन यहां जगह-जगह पूजा-अर्चना करने के साथ होलिका बनाने की भी शुरूआत हो जाती है।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story