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शाहजहांपुर में खेली जाती है देश की सबसे अनोखी तरह की होली
आसिफ अली
शाहजहांपुर। देश में संभवत: सबसे अनोखी होली शाहजहांपुर में खेली जाती है। ऐसी होली आपको देश मे किसी कोने में देखने को नहीं मिलेगी। यहां रंग खेलने के बाद दो खास जुलूस निकाले जाते हैं जिन्हें 'लाट साहब' का जुलूस कहते हैं। यह होते तो हैं बड़े अजीब जुलूस लेकिन साथ ही पुलिस प्रशासन के लिये किसी चुनौती से कम नहीं होते।
होली की सुबह 11 बजे तक रंग खेलने के बाद शहर में सदर बाजार और थाना चौक कोतवाली क्षेत्रों से दो लाट साहब के जुलूस निकाले जाते हैं। जुलूस में लाट साहब को एक बैलगाड़ी पर बैठाकर उसको जूते चप्पलों की माला पहनाई जाती है। उसे कोतवाली ले जाया जाता है जहां कोतवाल उसे सलामी और इनाम देते हैं। फिर तय रूट पर जुलूस निकल जाता है। जुलूस में लोग झाड़ू और जूते चप्पल से लाट साहब को पीटते चलते हैं। खास बात यह होती है कि जिस शख्स को लाट साहब बनाया जाता है वह दूसरे समुदाए का होता है। उसे बड़ी रकम और नए कपड़े बतौर इनाम दिए जाते हैं। होली से कई दिन पहले लाट साहब की मेहमानवाजी की जाती है। जुलूस में लोग शराब पीकर हुड़दंग भी मचाते हैं। तय रूट पर पडऩे वाले दूसरे समुदाए के धर्मस्थलों को निशाना भी बनाया जाता है।
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जानकारों का कहना है कि लाट साहब का जुलूस मुगलकाल से निकल रहा है। शहर में नवाबों के खिलाफ विद्रोह की साजिश रची थी। बाद में धीरे-धीरे नवाब के समर्थकों ने जुलूस निकालना शुरू कर दिया जो आगे चल कर परम्परा बन गई। पहले लाट साहब को गधे और हाथी पर बैठाकर जुलूस निकाला जाता था। अंग्रेजों के समय में लाट साहब के जुलूस पर पाबंदी लगा दी गई थी। जब अंग्रेजों का राज खत्म हुआ तो फिर से लाट साहब का जुलूस निकलने लगा। एक जुलूस 'बड़े लाट साहब ' का भी निकलता है। यह जुलूस थाना आरसी मिशन के सराय काईयां मोहल्ले से उठता है जो सबसे संवेदनशील इलाका है। यहां पर कई बार जुलूस के दौरान दोनों पक्ष आमने सामने आ चुके हैं।
जैसे जैसे जुलूस में भीड़ बढ़ती जाती है वैसे पुलिस की बेचैनी भी बढ़ जाती है क्योंकि उस भीड़ में शराब के नशे में लोग भी आते हैं जो सिर्फ माहौल को बिगाडऩे का काम करते हैं। मौका पाते ही रास्ते में पडऩे वाले दूसरे समुदाए के धर्म स्थलों पर रंग फेंकना या फिर नारेबाजी करना होता है। इससे टकराव की स्थिति बन जाती है। इसी से निपटने के लिए होली का त्योहार करीब आते ही पुलिस प्रशासन थाने पर पीस कमेटी की मीटिंग करना शुरू कर देता है। जहां पर इलाके के दोनों पक्षों के जिम्मेदार लोगों को बुलाकर उनसे जुलूस में सहयोग की अपील की जाती है। साथ ही सुझाव भी मांगे जाते हैं कि शांति बनाए रखने के लिए क्या किया जाए। डीएम अमृत त्रिपाठी ने बताया कि जुलूस में 200 से ज्यादा अधिकारियों को लगाया गया है। पूरे रूट पर लगभग 150 कैमरे लगाए गए हैं।