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राजनाथ सिंह हैं राजनीति के बेहतरीन तीरंदाज, तभी कहलाते दिग्गज सरताज

shalini
Published on: 10 July 2016 7:09 AM GMT
राजनाथ सिंह हैं राजनीति के बेहतरीन तीरंदाज, तभी कहलाते दिग्गज सरताज
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rajnath singh राजनाथ सिंह - फाइल फोटो

लखनऊ: उन्हें राजनीति की हर चाल पता है, कब कौन सा दांव किस तरह से आजमाना है, यह भी वह बखूबी जानते हैं। फिर वह चाहे मुख्यमंत्री पद को संभालने की बात हो या फिर गृहमंत्री के पद को। बीजेपी के इस दिग्गज नेता को राजनीति में अपना सिक्का जमाने का हुनर खूब आता है। राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में उनका ओहदा गृहमंत्री पद का है।

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राजनाथ सिंह - फाइल फोटो राजनाथ सिंह - फाइल फोटो

भारतीय जनता पार्टी के फेमस राजनीतिज्ञ राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई 1951 में वाराणसी के चकिया तहसील में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री राम बदन सिंह और माता का नाम श्रीमती गुजराती देवी था। बताया जाता है कि इन्होने सावित्री देवी से शादी की और इनके 3 बच्चे हैं। जिनमे 2 लड़के हैं और एक लड़की है। राजनाथ सिंह के दोनों ही बेटे पॉलिटिक्स में एक्टिव हैं।

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rajnath singh राजनाथ सिंह - फाइल फोटो

कहा जाता है कि इनके पिता एक साधारण किसान थे। ऐसे परिवार में जन्म लेने वाले राजनाथ सिंह ने अपनी मेहनत से गोरखपुर यूनिवर्सिटी से फर्स्ट डिवीजन में भौतिक शास्त्र में टीचर की उपाधि प्राप्त की। राजनाथ सिंह 13 साल की उम्र से ही संघ परिवार से जुड़े हुए हैं मिर्जापुर में भौतिकी व्याख्यता की नौकरी लगने के बाद भी संघ से जुड़े रहे। 1974 में उन्हें भारतीय जनसंघ का सचिव नियुक्त किया गया।

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rajnath singh राजनाथ सिंह - फाइल फोटो

राजनाथ सिंह 1988 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने। 1991 में जब स्टेट में बीजेपी की सरकार बनी तो राजनाथ सिंह को शिक्षा मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1994 में वह राजसभा के लिए चुने गए। उनके लिए तो मानो किस्मत अपनी बाहें फैलाकर खड़ी हुई थी। एक के बाद एक उन्हें नए पद मिलते जा रहे थे। 1997 में वह उत्तेर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। साल 2000 उनके लिए काफी लकी रहा और वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2002 में वह पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बने और 2003 में केंद्रीय कृषि मंत्री बने। इतना ही नहीं 2005 में उन्होंने पार्टी का सर्वोच्च पद संभाला।

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लालकृष्ण आडवाणी के साथ राजनाथ सिंह लालकृष्ण आडवाणी के साथ राजनाथ सिंह

बताया जाता है कि भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के बाद 2005 में भाजपा की बागडोर संभालने वाले राजनाथ सिंह ने पार्टी को फिर से एकजुट किया और पार्टी की मूल विचारधारा हिंदुत्व पर ध्यान फोकस किया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में कोई समझौता नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष चुने गए राजनाथ सिंह पहले भी विभिन्न संकटों के बीच सरताज बनकर उभरे। गौर करने वाली बात है कि नितिन गडकरी के बाद भाजपा की बागडोर संभालने वाले 61 वर्षीय राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश से हैं।

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rajnath singh राजनाथ सिंह - फाइल फोटो

कहा जाता है कि राजनीतिक हलकों में उन्हें काफ़ी मृदुभाषी और सूझ-बूझ से बोलने वालों में गिना जाता है। राजनाथ सिंह के बाद अध्यक्ष पद पर नितिन गडकरी आए थे। लेकिन 2013 की शुरुआत में, लास्ट टाइम में हुए जबर्दस्त उलटफेर में नितिन गडकरी भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गए और इसके बाद दूसरी बार आम सहमति से राजनाथ सिंह की भाजपा अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हुई।

पार्टी के पास निश्चित तौर पर कुछ ऑप्शन थे लेकिन राजनाथ सिंह की साधारण और समझदार वाली बेहतर छवि ने उनके नाम पर सहमति बनाने में मदद की। 2009 में पार्टी को केंद्र में सत्ता में लाने में नाकामी तो मिली ही, साथ ही 2004 की तुलना में पार्टी को 22 सीटें भी कम मिलीं।

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RAJNATH अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ राजनाथ सिंह

पहली बार 1977 में राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश से विधायक बने। फिर 1977 में वे भाजपा के राज्य सचिव बने। 1986 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव बनने वाले राजनाथ सिंह1988 में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। साल 1988 में ही सिंह उत्तरप्रदेश में विधान परिषद के सदस्य चुने गए। कल्याण सिंह सरकार के दौरान वे शिक्षामंत्री बने। उत्तर प्रदेश की सियासत में लंबी पारी खेल चुके राजनाथ सिंह संसद में पहली बार 1994 में पहुंचे जब उन्हें राज्यसभा टिकट मिला। ऊपरी सदन में उन्हें भाजपा का मुख्य सचेतक भी बनाया गया।

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राजनाथ सिंह - फाइल फोटो राजनाथ सिंह - फाइल फोटो

वर्ष 1997 में जब उत्तरप्रदेश राजनीतिक संकट का सामना कर रहा था, एक बार फिर से उन्होंने राज्य पार्टी अध्यक्ष की बागडोर संभाली और इस पद पर 1999 तक रहे। इसके बाद केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार में भूतल परिवहन मंत्री बने। केंद्र और राज्यों के बीच उनका आना-जाना लगा रहा। 28 अक्टूबर, 2000 को राजनाथ सिंह राम प्रकाश गुप्त की जगह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2002 तक वे उत्तर राज्य के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन तब तक राज्य में मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी अपना सिक्का जमा चुकी थी।

भाजपा ने बसपा प्रमुख मायावती को उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर समर्थन देने को फैसला किया लेकिन राजनाथ सिंह ने इस कदम पर एतराज जाहिर किया था। इसके बाद एक बार फिर से वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने। किसान परिवार से आने वाले नेता राजनाथ सिंह 2003 में वाजपेयी मंत्रिमंडल में कृषिमंत्री के तौर पर वापसी की। भाजपा में राजनाथ सिंह के आगे बढ़ने की यात्रा जारी रही। 31 दिसंबर 2005 को वे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। उनके कार्यकाल में पहली बार कर्नाटक में भाजपा सत्ता में आई।

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