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निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुने गये ह्रदय नारायण दीक्षित, सभी दलों ने किया स्वागत
हृदय नारायण दीक्षित को संसदीय परंपराओं का ज्ञाता माना जाता है। दीक्षित का सम्मान हर दल में है और उनके संचालन में किसी दलगत सीमा की बाधा नहीं आएगी। उनके पक्ष में यह भी है कि वह साफ़ छवि के नेता हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 17 वीं विधानसभा के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता हृदय नारायण दीक्षित को निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया गया है। गुरुवार को इसकी औपचारिक कार्यवाही के दौरान पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्यों ने मेज थपथपा कर उनके चयन का स्वागत किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सर्व सम्मति बनाने के लिए सभी दलों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सरकार किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगी।
सदन में मौजूद नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी ने नवनिर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि इस आसन के लिए आपसे बेहतर कोई नहीं हो सकता। आपको तो बहुत पहले ही यहां होना चाहिये था। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में समय निकाल कर गरीबों, वंचितों और मजदूरों पर चर्चा होनी चाहिये। चौधरी ने कहा कि विपक्ष संख्या में भले ही कम हो, लेकिन उसकी आवाज बुलंद है।
कुर्सी पर बैठने के बाद क्या बोले नए विधानसभा अध्यक्ष ?
हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि सभा की शक्ति घटती है तो महाभारत होता है और जब बढ़ती है तो वैदिक काल की अनुभूति होती है। सभा की कोई गलती हो तो 50 फीसदी दोष अध्यक्ष का होता है। 25 फीसदी उनका जो हुड़दंग करते हैं और 25 फीसदी वो जो शांत बैठे रहते हैं। जनता बहुत लोगों को पहले भी दंडित करत चुकी है और आगे भी कर सकती है। पहले जो वातावरण था जो दोबारा ना बने, पहले दिन यही प्रार्थना करता हूं। पुस्तकालय का सोफा इंतजार कर रहा है कि कोई तो आए। किताबें काफी उदास हैं। नए विधायकों की व्यक्तिगत सहायता भी करूंगा।
वहीं, राजा भैया ने कहा कि यह नए सदस्यों का सौभाग्य है कि उन्हें आप जैसा मुखिया मिला है। हम सभी को अपना आचरण सही रखते हुए कार्यवाही में योगदान देना होगा। वहीं, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना के मुताबिक, आज सत्ता पक्ष से ज्यादा विपक्ष खुश है। सभी सदस्यों से अपील करता हूं कि वो सदन चलाने में सहयोग करें। ज्यादा से ज्यादा विधानसभा में चर्चा होनी चाहिए। हम सभी नई परंपरा को जन्म देंगे। हम ज्यादा से ज्यादा बैठक करेंगे।
निर्विरोध निर्वाचन
बीजेपी के वरिष्ठ नेता ह्रदय नारायण दीक्षित ने बुधवार (29 मार्च) को उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरा था। इसके बाद ही यह तय माना जा रहा था कि वह निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुन लिये जाएंगे। नामांकन के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई नेता ह्रदय नारायण दीक्षित के साथ मौजूद रहे। बीजेपी 325 विधायकों के साथ सदन की सबसे बड़ी पार्टी है।
हृदय नारायण दीक्षित को संसदीय परंपराओं का ज्ञाता माना जाता है। उनके पक्ष में कई और बातें भी जाती हैं, जो उन्हें स्पीकर की कुर्सी तक ले आईं। साफ़ छवि के नेता होने के चलते उनके समर्थक लगभग सभी दलों में हैं।
कई हैं कारण
-हृदय नारायण दीक्षित 6 बार के विधायक हैं।
-वह बीजेपी सरकार में संसदीय कार्यमंत्री भी रह चुके हैं।
-दीक्षित संसदीय परंपराओं और नियमों का बड़ा ज्ञान रखते हैं।
-दीक्षित का सम्मान हर दल में है और उनके संचालन में किसी दलगत सीमा की बाधा नहीं आएगी।
-वाकपटु होने की वजह से वह विधानसभा के अच्छे संचालक और अधिष्ठाता साबित हो सकते हैं।
आगे स्लाइड्स में देखिये विधानसभा के कुछ और फोटोज और इंटरव्यू...
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